“Brother, it is not smart, it is a mess of life, all the earning is going towards paying the electricity bill..” People of Patna are getting angry on hearing the name of smart meter. Less benefit, mor


पटना. बिहार में बिजली व्यवस्था को स्मार्ट बनाने के उद्देश्य से कई प्रयोग किए जा रहे हैं. उनमें से एक है “स्मार्ट मीटर”. स्मार्ट मीटर का विचार यह है कि पहले उपभोक्ता बिजली के लिए भुगतान करें और फिर उसे उपयोग करें. इसे सरकार द्वारा एक क्रांतिकारी कदम के रूप में प्रचारित किया गया, लेकिन पटना के लोगों के बीच इसका विरोध बढ़ता जा रहा है. “स्मार्ट मीटर” का नाम सुनते ही लोग भड़क जाते हैं. लोग कहते हैं, “अपना स्मार्ट अपने घर रखिए, हमें तो पुराना वाला मीटर ही पसंद है.”

पूरी कमाई, बिजली बिल में चली जाती है
बिजली से संबंधित काम करने वाले छोटे व्यवसायी, जैसे कपड़े आयरन करने वाले मुकेश का कहना है कि स्मार्ट मीटर ने उनकी कमाई पर बुरा असर डाला है. वह बताते हैं, “पहले मेरा काम ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन अब हफ्ते भर में ही 1100 से 1500 रुपये सिर्फ मीटर रिचार्ज में लग जाते हैं. जो कमाई होती है, वह सब मीटर के रिचार्ज में चली जाती है.” मुकेश के पिता भी इस समस्या को उजागर करते हुए कहते हैं, “अगर आधी रात में रिचार्ज खत्म हो जाता है, तो बिजली कट जाती है, और रात के समय में कोई रिचार्ज करवाने कैसे जाएगा?”

बिना इस्तेमाल के भी कटता है पैसा
राहुल नाम के एक उपभोक्ता ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने रिचार्ज किया और फिर कुछ दिनों के लिए बाहर चले गए. जब वापस लौटे तो पाया कि बिना इस्तेमाल किए ही मीटर से पैसा कट गया था. अब वह अपने बिल की समस्या के लिए ऑफिस के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही. कई दफा तो रिचार्ज करने के बाद घंटों का इंतजार करना पड़ता है तब जाकर बिजली आती है.

पहले के मुकाबले ज्यादा बिल
एक अन्य उपभोक्ता रविदास सहनी बताते हैं कि पहले 400 से 500 रुपये का बिल आता था जिससे पूरा महीना आसानी से गुजर जाता था. लेकिन अब 2000 रुपये का रिचार्ज भी कम पड़ रहा है. वह सवाल उठाते हैं कि आम आदमी इतनी बड़ी राशि हर महीने कैसे खर्च करेगा?

यह स्मार्ट नहीं, बेकार है
एक गृहिणी ने अपनी परेशानी जाहिर करते हुए कहा, “यह स्मार्ट मीटर सबसे बेकार है. कभी भी बिजली कट जाती है और पता नहीं चलता कि यह पैसा खत्म होने की वजह से हुआ है या किसी और कारण से. बस, परेशानी ही परेशानी है.”

इस प्रकार, स्मार्ट मीटर योजना से जुड़े कई उपभोक्ता खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं. यह कदम लोगों के लिए राहत के बजाय एक नया सिरदर्द बनता जा रहा है. जहां एक ओर सरकार इसे आधुनिक और सुविधाजनक व्यवस्था के रूप में देखती है, वहीं उपभोक्ता इसे अपने जीवन में अतिरिक्त बोझ मान रहे हैं. स्मार्ट मीटर को प्रभावी बनाने के लिए यह जरूरी है कि उपभोक्ताओं की समस्याओं को समझा जाए और उनका समाधान निकाला जाए. अन्यथा, यह “स्मार्ट” योजना केवल कागजों में ही स्मार्ट साबित होगी, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही होगी.

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