Budget 2025 : मिडिल क्लास को ताकत, बड़े सुधार … समझिए बजट का ‘RRR’ वाला सार


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मैंने इस बजट को रिस्पॉन्सिबल इसलिए कहा, क्योंकि फिस्कल प्रूडेंस का पूरा ध्यान रखा गया है, ये बड़ी बात है. तीसरा ये बजट रिफॉर्मिस्ट इसलिए है क्योंकि हमेशा हम बात करते थे कि आप लोगों पर ट्रस्ट नहीं करते. शुक्रवार को आए अनंत नागेश्वर के लिखे इकोनॉमिक सर्वे में बहुत ही ग्रेशियस भाषा में सरकारों पर क्रिटिक था कि आप लोगों को ट्रस्ट नहीं करते. आप उन पर जब तक ट्रस्ट नहीं करेंगे रेगुलेशन कम नहीं करेंगे तब तक वो एनर्जी जनरेट नहीं होगी. 

हमें लगता था कि सर्वे में जो कहा जाता था वो बजट में भी आए, ये जरूरी नहीं है, लेकिन इस बजट में सर्वे की बहुत सारी क्रांतिकारी बातों को लागू किया गया है. जो राहत बजट में दी गई है, वह किसी ने सोचा नहीं था.

बजट में मिडल क्लास को ताकत

देश का मिडिल क्लास, व्यापारी, एसएमई या दुकानदार या छोटी कमाई वाले, यही वो लोग हैं जो भारत का ग्रोथ इंजन चलाते हैं. जब इनको एनर्जी दी जाती है तो इसका इंपैक्ट बहुत बड़ा होता है. इस बजट से अगर मैं अपनी उम्मीद की बात करूं तो कल मैं अपने घर में भी कह रहा था कि मैं 10 लाख तक टैक्स में छूट की उम्मीद करता हूं, लेकिन मेरी बहू ने कहा कि उनको 12 लाख की छूट की उम्मीद है. अगर मैंने शर्त लगाई होती तो मैं हार जाता. क्योंकि उनकी 12 लाख की बात सही निकल आई. 1997 के बाद मिडिल क्लास के लिए ये सबसे बड़ी राहत है.

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टैक्स में दी गई छूट कंजप्शन और इनवेस्टमेंट के साइकिल को चलाने के लिए ये एक बहुत बड़ा बूस्टर डोज है. जाहिर है कि इसके पीछे पॉलिटिकल सोच तो हमेशा रहती ही है. किसी भी लोकतंत्र में पॉलिटिकल लीडरशिप का काम है कि अपने लोगों या कहें कि अपने टारगेट ऑडियंस का ध्यान रखना. इसके साथ ही ये पूरे इकोनॉमिक साइकिल के लिए बहुत जरूरी भी है.

भारत के ज्यादातर टैक्सपेयर इस टैक्स रिलीफ कैटेगरी में 

 इस बजट में ये बहुत साफ पता नहीं चलता, लेकिन जितनी ग्लोबल अनिश्चितता है, उसमें इस बात का ध्यान रखा गया है कि बजाय इंटरनल फैक्टर के एक्सटर्नल फैक्टर से हम कितना ग्रो करेंगे. हमारी निर्भरता इंटरनल पर ज्यादा रहे इसके लिए बहुत बड़ा बेस तैयार किया जा रहा है.  ये टैक्स रिलीफ अमाउंट अभी सुनने में भले ही बहुत बड़ा नहीं लग रहा होगा, क्योंकि शहरी लोग ज्यादा सैलरी वाले लोग होंगे, लेकिन भारत के ज्यादातर टैक्सपेयर इसमें आ जाते हैं. इस छूट की वजह से टैक्स बेस भी बढ़ेगा.

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भारत में पर्सनल इनकम टैक्स पहले से ही कॉरपोरेट टैक्स के ऊपर जा चुका है. अभी 12-14 करोड़ के आसपास का जो नंबर है… शुरू में बहुत कम लोग टैक्स देते थे, तब हमारा टैक्स कलेक्शन कितना था और अभी का नंबर देखें तो इसमें बहुत बड़ी बढ़त हुई है. अब लोग ज्यादा टैक्स देने के लिए प्रोत्साहित होंगे.

टैक्स ने कानूनी पचड़े कम किए

 इकनॉमिक एक्टिविटी में जुटे मध्य वर्ग और सााधारण लोगों पर कंप्लायंस और क्रिमिनल एक्शन की तलवार हमेशा लटकती रहती है . उसके बारे में ये बजट साफ बता रहा है कि करीबन 50 प्रतिशत कंप्लायंस ये हटाने जा रहे हैं और इसके लिए  एक कमीशन बनाया जाएगा, जो इस पर जल्दी फैसला कर लेगा. इसी तरह से अब आप चार साल तक अपना रिटर्न भर सकते हैं और उसको अपडेट कर सकते हैं, ये बहुत बड़ी फ्लेक्सिबिलिटी है.

निर्मला सीतारमण ने जो टर्म यूज किया ‘ट्रस्ट फर्स्ट, स्कूटनाइज लेटर’ ये अप्रोच है और ये बहुत जरूरी भी है. क्योंकि अगर आप लोगों पर ही विश्वास नहीं करेंगे तो आपको 10 प्रतिशत का ग्रोथ देने वाली और आपको विकसित भारत बनाने वाली एनर्जी कहां से जनरेट होगी.




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