Can you run a PG in your home Know what the law says


बड़े शहरों में जब आप नौकरी करने जाते हैं या पढ़ने जाते हैं तो वहां रहने के आपको कई ऑप्शन मिलते हैं. इन्हीं में से एक सस्ता और अच्छा ऑप्शन होता है पीजी में रहना. नोएडा जैसे शहर में आपको हर सेक्टर में कई पीजी मिल जाएंगे, जहां आप से रहने के लिए बेड के हिसाब से पैसे लिए जाते हैं.

लेकिन पीजी में रहने से पहले क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की कि जिस पीजी में आप रहने जा रहे हैं वह कानूनी रूप से वैध है या नहीं. दरअसल, भारत में पीजी का संचालन करने के लिए कई तरह के नियम और कानून लागू होते हैं, जो राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों और संबंधित विभागों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं. चलिए जानते हैं क्या हैं ये नियम-कानून.

पीजी चलाने के नियम

कोई भी पीजी चलाने से पहले संचालकों को स्थानीय निकाय से रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है. पीजी का रजिस्ट्रेशन करने से पहले स्थानीय निकाय यह सुनिश्चित करता है कि आवासीय सुविधाएं मानक के अनुसार हैं या नहीं. वहीं कुछ राज्यों में, पीजी चलाने के लिए विशेष तरह के लाइसेंस की जरूरत होती है, जो कुछ शर्तों के आधार पर जारी किया जाता है.

ये भी पढ़ें: हिजबुल्ला के बाद अब हूती विद्रोहियों पर टूट पड़ा इजरायल, जानें कितनी पुरानी है ये दुश्मनी की कहानी

स्वच्छता और सुरक्षा के मानक

रजिस्ट्रेशन कराने के अलावा पीजी को स्वच्छता और स्वास्थ्य मानकों का पालन करना होता है. यानी पीजी संचालक को नियमित सफाई और रखरखाव सुनिश्चित करना जरूरी है. इसके अलावा पीजी में सुरक्षा उपाय जैसे- सीसीटीवी कैमरे, अग्नि सुरक्षा उपकरण और इमरजेंसी निकास का होना भी जरूरी होता है. अगर इनमें से किसी भी चीज में लापरवाही पाई गई तो पीजी का रजिस्ट्रेशन कैंसल हो सकता है और पीजी मालिक के खिलाफ लोगों की जान को खतरे में डालने का मामला भी दर्ज हो सकता है.

ये भी पढ़ें: फाइटर जेट की तरह प्लेन में पैसेंजर्स को क्यों नहीं मिलता पैराशूट, कभी सोचा है आपने?

किराये को लेकर नियम

नीयम के मुताबिक, पीजी चलाने वालों को किराया तय करते समय बाजार दरों और सुविधाओं को ध्यान में रख कर ही पीजी का किराया निर्धारित करना चाहिए. अगर कोई पीजी मालिक बाजार दरों से अधिक किराया लेता है तो यह कानूनी रूप से विवादास्पद हो सकता है. वहीं किराया लेते समय लेनदेन का रिकॉर्ड रखना भी जरूरी है.

ये भी पढ़ें: भारत में भी है ‘कोरिया’, दिल्ली से महज इतनी दूर- जानें क्या है इसका इतिहास



Source link

x