Caste-based Enumeration In Bihar: Petitions Seek SC Stay On Making Data Public – बिहार में जाति आधारित गणना : SC से डेटा सार्वजनिक करने पर रोक लगाने की मांग के लिए याचिकाएं
नई दिल्ली:
बिहार में जाति आधारित गणना को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने सुनवाई की. बिहार सरकार ने कहा कि, हमने गणना पूरी कर ली है. इसे वेबसाइट पर अपलोड भी कर दिया गया है. याचिकाकर्ताओं ने जातिगत सर्वे का डेटा सार्वजनिक करने पर रोक लगाने की मांग की है.
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जस्टिस खन्ना ने कहा कि निजी आंकड़े कभी सार्वजनिक नहीं होते. आंकड़ों का विश्लेषण यानी ब्रेक अप ही जारी किया जाता है. हम तब तक रोक नहीं लगाएंगे जब तक पहली नजर में जरूरी न हो.
सर्वे निजता के अधिकार का हनन
याचिकाकर्ताओं के वकील सीएस वैद्यनाथन ने पुट्टास्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की संविधान पीठ के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि यह सर्वे निजता के अधिकार का हनन है.
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के वकील से कहा कि दो तरह के डेटा हैं, एक व्यक्तिगत डेटा जो सार्वजनिक नहीं किया जा सकता प्राइवेसी का सवाल है.. जबकि ब्रेकअप डेटा का एनालिसिस किया जा सकता है जिससे बड़ी पिक्चर सामने आती है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि यह कोई संवैधानिक आदेश नहीं था यह प्रशासनिक आदेश था.
सुप्रीम कोर्ट 21 अगस्त को करेगा सुनवाई
सर्वे का डेटा सार्वजनिक ना किए जाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार 21 अगस्त को सुनवाई करेगा. उस दिन याचिकाकर्ताओं द्वारा राज्य सरकार द्वारा सर्वे किए जाने के अधिकार के सवाल पर भी दलील रखी जाएगी.
बिहार में जाति आधारित गणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार ने कहा कि वह अभी डाटा सार्वजनिक नहीं करने जा रही है. बिहार सरकार के वकील ने कहा कि सर्वे 6 अगस्त तक पूरा हो गया है. इसकी सूचना 12 अगस्त को वेबसाइट पर अपलोड भी कर दी गई है.
निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जा सकता
याचिकाकर्ता के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जा सकता. किसी वैध उद्देश्य वाले निष्पक्ष और उचित कानून के अलावा नहीं किया जा सकता है. यह सरकार के कार्यकारी आदेश के जरिए नहीं किया जा सकता. किसी को कोई कारण नहीं बताया गया और न ही सूचित किया गया. कोर्ट अब सोमवार को इस मामले पर आगे सुनवाई करेगा.