CBSE बोर्ड के 30 लाख स्टूडेंट्स की एग्जाम फीस होगी माफ? दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका स्वीकार
याचिका में कहा गया है कि कोरोना महामारी और उसके बाद में लॉकडाउन के चलते ज्यादातर अभिभावकों की आर्थिक स्थिति खराब है. उसके बावजूद सीबीएसई ने एग्जाम फीस को तीन गुना बढ़ा दिया है.
- 25 सितंबर को दिल्ली हाई कोर्ट करेगा सुनवाई
- अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने लगाई है याचिका
- 2020-21 की एग्जाम फीस माफ करने की मांग
सीबीएसई मीडियम के स्कूलों में 10वीं और 12वीं में पढ़ रहे 30 लाख बच्चों को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका में कोर्ट से मांग की गई है 10वीं और 12वीं के छात्रों की सत्र 2020-21 की एग्जाम फीस को माफ कर दिया जाए. दिल्ली हाई कोर्ट ने जनहित याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है और 25 सितंबर को दिल्ली हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी.
याचिका में कहा गया है कि कोरोना महामारी और उसके बाद में लॉकडाउन के चलते ज्यादातर अभिभावकों की आर्थिक स्थिति खराब है. उसके बावजूद सीबीएसई ने एग्जाम फीस को तीन गुना बढ़ा दिया है. जनहित याचिका लगाने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने कहा कि पिछले साल भी सीबीएसई ने एग्जाम फीस को 500 रुपये से तीन गुना बढ़ाकर 1500 रुपये कर दिया था.
याचिका में बताया गया है कि अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने वाले अभिभावकों की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वह स्कूलों की फीस भरने तक में सक्षम नहीं है. ऐसी स्थिति में एग्जाम फीस का एक और अतिरिक्त बोझ अभिभावकों पर डालना इस वक्त ठीक नहीं होगा.
अशोक अग्रवाल ने सीबीएसई के पास पहले से ही फंड की कोई कमी नहीं है. ऐसे में एग्जाम फीस को इस साल पूरी तरह से माफ करके पिछले सालों में सीबीएसई द्वारा इकट्ठे किए गए सरप्लस फंड को इस्तेमाल किया जाना चाहिए. इसके अलावा सीबीएसई इस खर्चे को केंद्र सरकार के माध्यम से पीएम केयर्स फंड से भी मांग सकती है.
दिल्ली में सरकारी स्कूलों के मार्च से ही बंद होने के कारण इस बार बहुत सारी मदों में खर्च होने वाला दिल्ली सरकार का पैसा बच गया है. ऐसे में इस पैसे का इस्तेमाल दिल्ली सरकार सीबीएसई को एग्जाम फीस के तौर पर देकर कर सकती है.