Center Ready To Buy Maize At MSP, Why? Know How It Will Be Helpful In Increasing Ethanol Production – केंद्र MSP पर मक्‍का खरीदने के लिए क्‍यों है तैयार? जानिए इथेनॉल उत्‍पादन बढ़ाने में कैसे होगा मददगार


केंद्र MSP पर मक्‍का खरीदने के लिए क्‍यों है तैयार? जानिए इथेनॉल उत्‍पादन बढ़ाने में कैसे होगा मददगार

मक्का देश में बायो-इथेनॉल का प्रोडक्शन बढ़ाने की दिशा में बेहद अहम साबित हो सकता है.

खास बातें

  • केंद्र सरकार किसानों से एमएसपी पर मक्का खरीदने के लिए तैयार है
  • मक्‍का खरीदने का प्रस्‍ताव केंद्र की दीर्घकालीन रणनीति का हिस्‍सा है
  • केंद्र का 2025-26 तक पेट्रोल में इथेनॉल ब्लेंडिंग 20% तक करने का लक्ष्य

नई दिल्‍ली :

केंद्र सरकार (Central Government) किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मक्का खरीदने के लिए तैयार है. किसान नेताओं के सामने यह पेशकश की गई है. इसके तहत NAFED या NCCF जैसी सहकारी समितियां एमएसपी पर मक्का खरीदने की गारंटी के साथ किसानों के साथ पांच साल का अनुबंध कर सकती हैं. किसानों से एमएसपी पर मक्‍का खरीदने का प्रस्‍ताव देश में बायो-इथेनॉल (Bio-Ethanol) के उत्‍पादन को बढ़ावा देने की केंद्र सरकार की दीर्घकालीन रणनीति का हिस्‍सा है. 

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राज्यसभा में पेट्रोलियम राज्यमंत्री रामेश्वर तेली द्वारा पेश तथ्यों के मुताबिक, बायो-इथेनॉल से कच्चे तेल का आयात घटेगा. केंद्र ने 2025-26 तक पेट्रोल में इथेनॉल ब्लेंडिंग 20% तक करने का लक्ष्य तय किया है. 2025-26 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल की ब्लेंडिंग के लिए करीब 1016 करोड़ लीटर इथेनॉल की जरूरत होगी. जाहिर है कि 20% इथेनॉल की ब्लेंडिंग से इतनी ही मात्रा में पेट्रोल की बचत संभव हो सकेगी. 

एक सफल E20 प्रोग्राम (E20 ईंधन पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल का मिश्रण) से कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम होगी. इससे देश को हर  साल करीब 4 अरब अमेरिकी डॉलर तक बचत का अनुमान है. 

कच्‍चे तेल के आयात पर कम होगी निर्भरता : किरीट पारेख 

केंद्र के 2025 तक पेट्रोल में 20 फीसदी ब्लेंडिंग टारगेट तय करने को लेकर तेल अर्थशास्‍त्री किरीट पारेख ने कहा कि इससे दो फायदे हैं. कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम होगी, आयात का खर्च कम होगा. बायो-इथेनॉल के ज्यादा इस्तेमाल से प्रदूषण कम होगा क्योंकिं कार्बन एमिशन कम होगा, लेकिन ज्यादा मक्का उगाने से इसका कृषि अर्थव्यवस्था और खाद्यान्‍न उत्‍पादन पर कितना असर होगा इसकी समीक्षा करनी होगी. अमेरिका में इथेनॉल के प्रोडक्शन में जी वैरायटी का मक्का इस्तेमाल होता है वो मानव उपयोग के लिए नहीं होता है.  

इथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य को हासिल करने में मिलेगी मदद : सिंह 

भारत के प्रमुख कृषि वैज्ञानिकों में से एक और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. अशोक कुमार सिंह ने एनडीटीवी के साथ एक इंटरव्‍यू में कहा कि धान उगाने वाले किसानों के लिए महत्वपूर्ण वैकल्पिक फसल उच्च गुणवत्ता वाली मक्का हो सकती है, जिसे प्रति एकड़ 7 से 8 टन तक उगाया जा सकता है. उन्‍होंने कहा कि धान की तर्ज पर मक्का उगाने से देश में बायो-इथेनॉल के प्रोडक्शन को बढ़ाने और 2025-26 तक 20 फीसदी तक इथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद मिलेगी. अभी देश में जो मक्का पैदा होता है, उसका 75 फीसदी पोल्ट्री फीड के तौर पर जाता है.

1700 करोड़ लीटर बायो इथेनॉल की होगी जरूरत : सिंह 

उन्‍होंने एनडीटीवी से कहा, “प्रधानमंत्री ने 2025 तक पेट्रोल में इथेनॉल का 20 फीसदी तक ब्लेंडिंग लक्ष्य तय किया है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए 1700 करोड़ लीटर बायो इथेनॉल की आवश्यकता होगी. अभी हम 947 करोड़ लीटर बायो इथेनॉल का प्रोडक्शन कर रहे हैं, जिसमें 600 करोड़ लीटर मॉलेसेस के द्वारा और 300 करोड़ लीटर दाने से आता है. इसमें मुख्य रूप से चावल है, लेकिन खाद्य सुरक्षा की जरूरत को देखते हुए हम चावल का इस्तेमाल बायो-इथेनॉल के प्रोडक्शन के लिए नहीं कर सकते हैं. 

जाहिर है कि मक्का देश में बायो-इथेनॉल का प्रोडक्शन बढ़ाने की दिशा में बेहद अहम साबित हो सकता है, लेकिन इसे बढ़ावा देने के दौरान सरकार को इसके कृषि अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को ध्यान में रखकर ही आगे बढ़ना होगा. 

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