Chandrayaan-3 Cant Have Frugal Engineering Alone Need Bigger Rockets Says Ex-ISRO Chief – भारत के स्पेस मिशन को उड़ान के लिए ज्यादा फंड और बड़े रॉकेटों की जरूरत: पूर्व ISRO चीफ
NDTV के साथ खास इंटरव्यू में इसरो के पूर्व चीफ के सिवन ने लूनर मिशन और चंद्रयान-3 को लेकर कई अहम सवालों के जवाब दिए. उन्होंने कहा, “हमें बड़े रॉकेट और बड़े सिस्टम की जरूरत है. हम सिर्फ कम लागत वाले इंजीनियरिंग के भरोसे नहीं रह सकते. हमें इससे आगे जाकर सोचना होगा.” सिवन ने कहा, “हमें हाई-पावर रॉकेट और हाई-लेवल टेकनीक की भी जरूरत है. इसके लिए इस सरकार ने काफी कुछ किया है, जो अच्छी बात है. सरकार ने स्पेस एक्टिविटी को प्राइवेट इंडस्ट्री के लिए खोल दिया है.”
पूर्व इसरो प्रमुख ने कहा कि प्राइवेट इंडस्ट्री स्पेस साइंस में दिलचस्पी दिखा रही है. इसके नतीजे भी दिखने लगे हैं. उन्होंने कहा, “मुझे यकीन है कि वे जल्द ही हाई-एंड तकनीक भी अपनाने में काबिल होंगे. मेरे ख्याल से इसमें इंवेस्टमेंट कोई समस्या नहीं होगी.”
चंद्रयान-1 की खोज का किया जिक्र
2009 में चंद्रयान-1 के जरिए चंद्रमा पर पानी खोजने को लेकर वैज्ञानिकों की प्रतिक्रिया पर रोशनी डालते हुए सिवन ने कहा, “यह पूरे इसरो समुदाय के लिए वास्तव में एक रोमांचक क्षण था. जब किसी चीज के बारे में दुनिया ने बताया गया कि वह चांद पर नहीं है और उसे भारत ने खोज लिया… उससे ज्यादा खुशी की बात और क्या होगी? मुझे भी इस खोज पर खुशी हुई.”
मिशन की सफलता के लिए क्वालिटी जरूरी
रॉकेट लॉन्च करने के लिए पहले पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV), फिर जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) का इस्तेमाल हुआ. अब लॉन्चिंग के लिए लॉन्च व्हीकल मार्क-III (LVM3) के इस्तेमाल पर सिवन ने कहा, “स्पेस सिस्टम के लिए चाहे यह एक रॉकेट या स्पेसक्राफ्ट हो… इनकी सफलता दो चीजों पर निर्भर है-क्वालिटी और रिलायबिलिटी. इनके बिना हम किसी भी मिशन को हासिल नहीं कर पाएंगे.” उन्होंने कहा, “स्पेस सिस्टम को सिर्फ एक बार ही काम करने का मौका मिलेगा. और वह भी स्पेस में. इसलिए हमारे सिस्टम की क्वालिटी सबसे अच्छी होनी चाहिए.”
क्रायोजेनिक इंजन भविष्य की जरूरत
पश्चिम के दबाव के बावजूद भारत द्वारा क्रायोजेनिक इंजन विकसित करने के महत्व पर पूर्व इसरो प्रमुख ने कहा कि पेलोड क्षमताओं को बढ़ाने के लिए ऐसे इंजन जरूरी भी हैं. उन्होंने कहा, “इसके बिना हम जिन सैटेलाइट को ले जा सकते हैं, उनका द्रव्यमान कम हो जाएगा. हमने अपने दम पर क्रायोजेनिक इंजन विकसित करना शुरू कर दिया है. हमने इसी तरह के इंजन बनाने के लिए रूसियों के साथ काम किया. अब हमने नए, हाई-पावर क्रायोजेनिक इंजन विकसित किए हैं. ये इंजन बहुत अच्छे से काम कर रहे है. इसके साथ ही अब हम सेमी-क्रायोजेनिक इंजन तकनीक पर काम कर रहे हैं.”
पुरुषों और महिलाओं को समान अवसर देता है इसरो
सिवन ने कहा कि इसरो पुरुषों और महिलाओं को समान अवसर देता है. उन्होंने युवा भारतीयों से वैज्ञानिक स्वभाव विकसित करने का आग्रह किया, ताकि वे भविष्य में अपनी खोजों से देश की मदद कर सकें.
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