Chandrayaan-3 Moves Closer To The Luner Preparations To Separate Propulsion Module And Lander By Isro – चंद्रयान-3 चंद्रमा के और करीब पहुंचा, प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर को अलग करने की तैयारी



Chandrayaan-3 Moves Closer To The Luner Preparations To Separate Propulsion Module And Lander By Isro - चंद्रयान-3 चंद्रमा के और करीब पहुंचा, प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर को अलग करने की तैयारी

इसरो ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, ‘‘आज की सफल प्रक्रिया संक्षिप्त अवधि के लिए आवश्यक थी. इसके तहत चंद्रमा की 153 किलोमीटर x 163 किलोमीटर की कक्षा में चंद्रयान-3 स्थापित हो गया, जिसका हमने अनुमान किया था. इसके साथ ही चंद्रमा की सीमा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो गई. अब प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर अलग होने के लिए तैयार हैं.”

इसरो ने कहा कि 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की योजना है. चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया. इसके बाद इसने 6, 9 और 14 अगस्त को चंद्रमा की अगली कक्षाओं में प्रवेश किया. अब यह चंद्रमा के और नजदीक पहुंच गया है.

अलग होने के बाद, लैंडर को ‘‘डीबूस्ट” (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजरने की उम्मीद है, ताकि इसे एक ऐसी कक्षा में स्थापित किया जा सके; जहां पेरिल्यून (चंद्रमा से निकटतम बिंदु) 30 किलोमीटर और अपोल्यून (चंद्रमा से सबसे दूर का बिंदु) 100 किलोमीटर है.

इसरो ने कहा कि यहीं से 23 अगस्त को यान की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा. इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने हाल में कहा था कि लैंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा लैंडर के वेग को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से अंतिम लैंडिंग तक लाने की प्रक्रिया है. यान को क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर दिशा में स्थानांतरित करने की क्षमता वह ‘‘प्रक्रिया है जहां हमें अपनी काबिलियत दिखानी होगी.”

सोमनाथ ने कहा, ‘‘लैंडिंग प्रक्रिया की शुरुआत में वेग लगभग 1.68 किलोमीटर प्रति सेकंड है, लेकिन यह गति चंद्रमा की सतह के क्षैतिज है. यहां चंद्रयान-3 लगभग 90 डिग्री झुका हुआ है, इसे लंबवत करना होगा. क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर दिशा में बदलने की यह पूरी प्रक्रिया गणितीय रूप से एक बहुत ही दिलचस्प गणना है. हमने कई बार इस प्रक्रिया को दोहराया है. यहीं पर हमें पिछली बार (चंद्रयान-2) समस्या हुई थी.”

उन्होंने कहा कि इसके अलावा यह सुनिश्चित करना होगा कि ईंधन की खपत कम हो, दूरी की गणना सही हो और सभी गणितीय मानक ठीक हों. सोमनाथ ने कहा कि व्यापक सिमुलेशन (अभ्यास) किए गए हैं, मार्गदर्शन डिजाइन बदल दिए गए हैं. इन सभी चरणों में आवश्यक प्रक्रिया को नियंत्रित करने और उचित लैंडिंग करने का प्रयास करने के लिए बहुत सारे एल्गोरिदम लगाए गए हैं.

इसरो ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद से तीन हफ्तों में चंद्रयान-3 को चंद्रमा की पांच से अधिक कक्षाओं में चरणबद्ध तरीके से स्थापित किया है. एक अगस्त को एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया के तहत यान को पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की ओर सफलतापूर्वक भेजा गया.

चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग करने और घूमने में शुरू से अंत तक क्षमता प्रदर्शित करने के लिए चंद्रयान-2 (2019) का अगला अभियान है. इसमें एक स्वदेशी प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है, जिसका उद्देश्य अंतर-ग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नयी प्रौद्योगिकियों को विकसित करना और प्रदर्शित करना है.

प्रोपल्शन मॉड्यूल के अलावा लैंडर और रोवर विन्यास चंद्रमा की कक्षा से 100 किलोमीटर दूर है. चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और ध्रुवीय मीट्रिक मापों का अध्ययन करने के लिए इसमें ‘स्पेक्ट्रो-पोलेरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ’ (शेप) पेलोड लगा है.

चंद्रयान-3 मिशन के अब तक की प्रक्रिया से सफलतापूर्वक गुजरने पर खुशी व्यक्त करते हुए इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि 23 अगस्त को लैंडर का चंद्रमा की सतह को छूना ‘‘एक बड़ा क्षण होगा जिसका हम इंतजार कर रहे हैं.”सिवन दूसरे चंद्र मिशन के दौरान अंतरिक्ष एजेंसी का नेतृत्व कर रहे थे. उन्होंने कहा कि चंद्रयान 2 भी इन सभी चरणों से सफलतापूर्वक गुजरा था, और लैंडिंग के दूसरे चरण के दौरान एक ‘‘मुद्दा” सामने आया और मिशन को लक्ष्य के अनुसार सफलता नहीं मिली.

उन्होंने कहा, ‘‘अब लैंडिंग प्रक्रिया को लेकर निश्चित रूप से अधिक चिंता होगी. पिछली बार यह सफल नहीं हो सका. इस बार हर किसी को उस बेहतरीन पल का इंतजार है. मुझे यकीन है कि यह सफल होगा क्योंकि हमने चंद्रयान 2 के दौरान हुई असफलताओं को समझ लिया है.”

सिवन ने कहा, ‘‘हमने इसे ठीक कर लिया है और इसके अलावा, जहां भी मार्जिन कम था, वहां अतिरिक्त मार्जिन जोड़ा गया है. इस बार हमें उम्मीद है कि मिशन सफल होगा. हमें इस पर पूरा भरोसा है.” चंद्रयान-3 अभियान का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना, चंद्रमा पर रोवर के चलने और चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना है.

सिवन ने कहा, ‘‘कल की प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि अंतरिक्ष में कोई भी गतिविधि एक महत्वपूर्ण गतिविधि है. अंतरिक्ष में होने वाली कल की गतिविधि चंद्रयान-3 को दो भागों में अलग करती है, एक है प्रणोदन और लैंडर. यह यह बहुत महत्वपूर्ण है और हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह सामान्य होगा और बिना किसी समस्या के सफलतापूर्वक आगे बढ़ेगा.”

चंद्रमा के लिए भारत के पहले मिशन चंद्रयान-1 के परियोजना निदेशक डॉ. एम अन्नादुरई ने कहा कि प्रोपल्शन मॉड्यूल के लैंडर को अलविदा कहने के बाद, लैंडर की अपनी प्रारंभिक जांच होगी. उन्होंने कहा, ‘‘चार मुख्य थ्रस्टर्स, जो लैंडर को चंद्रमा की सतह पर आसानी से उतरने में सक्षम बनाएंगे, के साथ-साथ अन्य सेंसर का भी परीक्षण करने की आवश्यकता है. फिर यह (लैंडर) 100 किमी x 30 किमी की कक्षा में जाने के लिए अपना रास्ता बनाएगा और वहां से 23 अगस्त को सुबह-सुबह चंद्रमा पर जाने का सफर शुरू होगा.”

लैंडर में एक विशिष्ट चंद्र स्थल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को तैनात करने की क्षमता होगी जो अपनी गतिशीलता के दौरान चंद्रमा की सतह का यथा स्थान रासायनिक विश्लेषण करेगा. लैंडर और रोवर के पास चंद्रमा की सतह पर प्रयोग करने के लिए वैज्ञानिक पेलोड हैं.

ये भी पढ़ें:-

Chandrayaan-3 Live tracking : शुरू होने वाला है चंद्रयान-3 का सबसे मुश्किल सफर, एक भी गलती हुई तो…?

Chandrayaan-3 Live Tracking : 174Km रह गई चांद और चंद्रयान-3 की दूरी! ISRO ने दी यह जानकारी, जानें

Chandrayaan 3 vs Luna 25 : रूस या भारत, चांद पर कोई भी उतरे पहले, जीतेगा हमारा ‘प्रज्ञान’



Source link

x