Republic Bharat अर्नब गोस्वामी के खिलाफ मुंबई पुलिस ने शुरू की चैप्टर प्रोसिडिंग, जानिये इसके बारे में सबकुछ

Republic Bharat: मुंबई पुलिस ने अर्नब गोस्वामी को शुक्रवार शाम तक प्रस्तुत होने को कहा है।

मुंबई पुलिस ने पिछले हफ्ते रिपब्लिक के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी के खिलाफ ‘चैप्टर प्रोसिडिंग’ शुरू की है। इस मामले में मुंबई पुलिस ने अर्नब गोस्वामी को शुक्रवार शाम तक प्रस्तुत होने को कहा है। आइये जानते हैं क्या है चैप्टर प्रोसिडिंग, जो अर्नब गोस्वामी के खिलाफ शुरू हुई है…

चैप्टर प्रोसिडिंग पुलिस के द्वारा लिए जाने वाला प्रीवेंटिव (निवारक) एक्शन है। अगर पुलिस को लगता है कोई व्यक्ति समाज में समस्या पैदा कर सकता है या समाज की शांति भंग कर सकता है तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ पुलिस चैप्टर प्रोसिडिंग शुरू कर सकती है।

चैप्टर प्रोसिडिंग दंडात्मक कार्रवाई की तरह नहीं होती जिसमें दंड देने के उद्देश्य से एफआईआर की जाती है। चैप्टर प्रोसिडिंग में पुलिस कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर के सेक्शन 111 के तहत नोटिस देती है जिसमें व्यक्ति को बताया जाता है कि आपके कृत्यों के कारण आप पर कार्रवाई भी हो सकती है।

इसमें सीआरपीसी के सेक्शन 111 के तहत व्यक्ति को नोटिस दिया जाता है और उसे एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित होने को कहा जाता है। इसमें व्यक्ति को समझाना होता है कि क्यों उसे अच्छे व्यवहार के अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य ना किया जाए।

अगर एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट व्यक्ति के जवाब से संतुष्ट नहीं होता, तो उसे अच्छे व्यवहार के अनुबंध पर हस्ताक्षर करने पड़ सकते हैं। इसके साथ ही एक निश्चित धनराशि भी तय की जाती है। अगर वह व्यक्ति शर्तों का उल्लंघन करता है तो उसे वह जुर्माना भरना पड़ता है। कार्रवाई पर उपरोक्त व्यक्ति को जुर्माना देना होता है, जुर्माना न देने पर उसे जेल भी भेजा जा सकता है।

इस मामले में मुंबई पुलिस अर्नब गोस्वामी से भी अनुबंध पर हस्ताक्षर करवा सकती है और उसके उल्लंघन पर उन्हें 10 लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। मुंबई पुलिस ने सेक्शन 111 के तहत अर्नब को नोटिस भेजा है जिसमें मुंबई में लॉकडाउन के दौरान रेलवे स्टेशन पर एकत्रित भीड़ और पालघर लिंचिंग की रिपोर्टिंग को लेकर दर्ज की गई दो एफआईआर को आधार बनाया है।

हालांकि सेक्शन 111 के तहत नोटिस मिलने पर व्यक्ति के पास कोर्ट में अपील करने का विकल्प उपलब्ध रहता है। इस मामले में अर्नब गोस्वामी के पास भी न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का विकल्प हैं।

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