Chhattisgarh Elections BJP Faces The Challenge Of Fulfilling The Promises – छत्तीसगढ़ में लोकलुभावन वादों के साथ लड़े गए चुनाव, अब BJP के सामने वादों को पूरा करने की चुनौती
रायपुर:
छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने किसानों, महिलाओं और गरीबों से कई बड़े वादे किए थे. राज्य में भाजपा एक बार फिर सरकार बनाने की ओर अग्रसर है, ऐसे में उसके सामने इन वादों को पूरा करने की बड़ी चुनौती रहेगी.
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छत्तीसगढ़ में चुनाव से लगभग छह महीने पहले ही दोनों दलों ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी थी. राज्य में सत्ताधारी दल कांग्रेस को उम्मीद थी कि किसान, गरीब और आदिवासियों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के कारण उनकी सत्ता बरकरार रहेगी. वहीं 2003 से 2018 तक लगातार 15 वर्ष तक सत्ता में रही भाजपा इस बार जीत के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाह रही थी.
राज्य में जीत के लिए दोनों दलों ने जनता से जमकर लोकलुभावन वादे किए, जिनमें कुछ मुफ्त वाली योजनाएं भी शामिल हैं. छत्तीसगढ़ में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद कांग्रेस ने घोषणा-पत्र जारी करने से पहले ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की रैलियों में बड़ी घोषणाएं करनी शुरू कर दी थी.
वर्ष 2018 में भाजपा की करारी हार का एक कारण उसका कमजोर घोषणा-पत्र भी था. इस बार के चुनाव में पार्टी ने इसे ध्यान में रखा और जनता से खूब वादे किए. पार्टी ने अपने घोषणा-पत्र को ‘छत्तीसगढ़ के लिए मोदी की गारंटी’ नाम दिया.
पार्टी ने जनता से वादा किया है कि सरकार बनने पर किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल की दर से धान खरीदी जाएगी और किसानों को एक क्विंटल धान के लिए 31 सौ रुपये दिये जाएंगे, महतारी वंदन योजना के तहत विवाहित महिलाओं को 12 हजार रुपये वार्षिक वित्तीय सहायता दी जाएगी. एक लाख शासकीय पदों पर भर्ती की जाएगी.
भाजपा के घोषणा-पत्र में यूपीएससी की तर्ज पर सीजीपीएससी की परीक्षा लेने, युवाओं को 50 फीसदी सब्सिडी के साथ ब्याज मुक्त ऋण देने, गरीब घर में बालिकाओं के जन्म पर एक लाख 50 हजार रुपये का आश्वासन प्रमाण-पत्र देने, गरीब परिवारों की महिलाओं को पांच सौ रुपये में गैस सिलेंडर, कॉलेज जाने के लिए छात्रों को मासिक यात्रा भत्ता देने और प्रदेशवासियों को अयोध्या में रामलला का दर्शन की व्यवस्था करने सहित कई अन्य लोकलुभावन वादे शामिल किये गये हैं.
मतगणना में भाजपा राज्य में बहुमत के लिए 46 सीट के जरूरी आंकड़े को पार कर सरकार बनाने की ओर अग्रसर है. ऐसे में पार्टी के पास सबसे बड़ी चुनौती सरकार बनने के बाद वादों को पूरा करने की होगी, क्योंकि 2024 में लोकसभा का चुनाव भी है.