Chinese Manager Brutally Beats Up African Workers Viral Video Sparks Debate On Racism – अफ्रीकी मजदूरों को चीनी मैनेजर ने बेरहमी से पीटा, वायरल वीडियो ने नस्लवाद पर छेड़ी बहस
एक चीनी व्यक्ति के अफ्रीकी मजदूर को पीटते हुए दिखाने का दावा करने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. इस वीडियो को जर्नलिस्ट डोम लुक्रे ने एक्स पर शेयर किया है और वीडियो शेयर करते हुए उन्होंने लिखा, “कर्मचारियों के साथ ट्रांस-अटलांटिक गुलामों जैसा व्यवहार किया जा रहा है”. क्लिप में कर्मचारी एक कंटेनर जैसी दिखने वाली जगह पर बैठे हैं और चीनी व्यक्ति उन पर चिल्ला रहा है. फिर वह एक छड़ी निकालता है और उन मजदूरों को बेरहमी से पीटना शुरू कर देता है.
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देखें वीडियो –
🔥🚨BREAKING NEWS: This disturbing footage of a Chinese employer in Africa treating his employees like Trans Atlantic slaves is going viral across the internet.
Viewers have begun discussing on how it appears the Chinese are ‘fare more racist than the White man’ in Africa. pic.twitter.com/4zTnliEQea
— Dom Lucre | Breaker of Narratives (@dom_lucre) May 2, 2024
एनडीटीवी इस वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं कर सकता है जिसे लगभग 12 मिलियन बार देखा गया है और जिसने नस्लवाद और गुलामी को लेकर बहस छेड़ दी है. पत्रकार ल्यूक्रे ने कैप्शन में कहा है कि चीनी “अफ्रीका में श्वेत व्यक्ति की तुलना में कहीं अधिक नस्लवादी हैं.”
एक यूजर ने लिखा, “हर कोई अमेरिका के खिलाफ है लेकिन दुनियाभर के देशों में मानवाधिकार के हो रहे हनन के बारे में कोई बात नहीं करना चाहता है.” अन्य ने लिखा, “हर जाति के पास गुलाम होते हैं, और हर जाति में बुरे लोग होते हैं. अब सभी अच्छे लोगों के लिए, जो प्रत्येक जाति में बहुसंख्यक हैं, सभी जातियों के उन लोगों के खिलाफ एक साथ खड़े होने का समय आ गया है, जो बुरे हैं.”
तीसरे ने लिखा, “कोई अपने कर्मचारियों को नहीं पीटता है और वो लड़के हैं. यह सही में बेहद घिनौना है.” यह पहली बार नहीं है कि ऐसी घटनाएं सामने आई हैं. पिछले साल अप्रैल में, समाचार एजेंसी एएनआई ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें चीनी परियोजना प्रबंधकों द्वारा अफ्रीकी श्रमिकों के साथ दुर्व्यवहार पर प्रकाश डाला गया था.
जिनेवा डेली के हवाले से समाचार एजेंसी ने कहा कि अफ्रीका में स्थानीय श्रमिकों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है और उन्हें गंभीर परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है और उन्हें अनुबंध वेतन से भी कम वेतन दिया जाता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन कर्मचारियों से अक्सर लंबे समय तक काम कराया जाता है.