CJI चंद्रचूड़ की बेंच में जब SG तुषार मेहता ने मिलाई मुकुल रोहतगी की हां में हां, SC ने झट से मांग ली रिपोर्ट – Sadhguru Jaggi Vasudev Isha Foundation CJI Chandrachud ask report from Tamil Nadu Police SG Tushar Mehta Advocate Mukul Rohatgi


नई दिल्‍ली. सद्गुरु जग्‍गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के कैंपस में तमिलनाडु पुलिस की ओर से रेड मारने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की थी. अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए पुलिस से इस मामले में 18 अक्‍टूबर 2024 तक रिपोर्ट तलब की है. CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्‍यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने गुरुवार को मामले पर सुनवाई करते हुए तीखी टिप्‍पणी की. CJI चंद्रचूड़ की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने कहा कि किसी संस्‍थान में आर्मी या पुलिस को इस तरह से जाने की इजाजत कैसे दी जा सकती है. सदगुरु जग्‍गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन की तरफ से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी पैरवी कर रहे थे, वहीं केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट रूम में मौजूद थे. इस दौरान SG मेहता ईशा फाउंडेशन के वकील रोहतगी की दलीलों का समर्थन करते देखे गए.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा इस पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे. ईशा फाउंडेशन की ओर से कोर्ट में पेश हुए मुकुल रोहतगी ने इस मामले में तत्‍काल हस्‍तक्षेप की मांग करते हुए मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की. उन्‍होंने बेंच को बताया कि सैकड़ों की तादाद में पहुंचे पुलिसकर्मियों ने ईशा फाउंडेशन के आश्रम के कोने-कोने की छानबीन की. मुकुल रोहतगी ने दलील दी- यह धार्मिक स्‍वतंत्रता से जुड़ा मामला है. यह काफी अर्जेंट और गंभीर मामला है. यह ईशा फाउंडेशन से जुड़ा मामला है…यह सदगुरु (जग्‍गी वासुदेव) से जुड़ा केस है. वह काफी सम्‍माननीय हैं और उनके फॉलोअर्स की तादाद लाखों में है. हाईकोर्ट सिर्फ मौखिक आधार पर इस तरह की जांच शुरू नहीं कर सकता है.

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क्‍या बोले तुषार मेहता?
केंद्र की ओर से सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट रूम में मौजूद थे. एसजी मेहता ने ईशा फाउंडेशन की याचिका का समर्थन करते हुए कहा कि हाईकोर्ट को काफी सावधानी बरतनी चाहिए थी. उन्‍होंने आगे कहा कि इसमें आपके (सुप्रीम कोर्ट) अटेंशन की जरूरत है. दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को इस मामले में अगले आदेश तक कोई कार्रवाई न करने का निर्देश दिया है. साथ ही मद्रास हाईकोर्ट के 30 सितंबर के फैसले पर भी रोक लगा दी. हालांकि, सीजेआई चंद्रचूड़ की पीठ ने कोयंबटूर रूरल पुलिस को मामले की जांच कर स्‍टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है.

क्‍या है मामला?
दरअसल, तमिलनाडु कृषि विश्‍वविद्यालय (कोयंबटूर) के रिटायर्ड प्रोफेसर कामराज ने मद्रास हाईकोर्ट में हैबियस कॉर्पस (बंदी प्रत्‍यक्षीकरण- Habeas Corpus) याचिका दायर कर ईशा फाउंडेशन पर उनकी दो बेटियों (42 और 39 साल) को बंधक बनाकर रखने का आरोप लगाया था. हैबियस कॉर्पस याचिका स्‍वीकार होने पर संबंधित व्‍यक्ति को कोर्ट में सशरीर पेश करना पड़ता है. इस पर हाईकोर्ट ने पुलिस को कार्रवाई का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट ने टिप्‍पणी करते हुए कहा था कि हम यह जानना चाहते हैं कि एक शख्‍स जो अपनी बेटियों की शादी कर उन्‍हें सेटल किया, वह दूसरों की बेटियों के सिर को मुंडवा कर उन्‍हें संन्‍यासिन बनने के लिए क्‍यों प्रोत्‍साहित करता है? बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पीठ ने कामराज की दोनों बेटियों से वर्चुअल तरीके से बात कर उनकी भी राय जानी थी. उन दोनों अपनी मर्जी से ईशा फाउंडेशन के आश्रम में रहने की बात कही.

Tags: National News, Supreme Court



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