Classical Language List five languages ​​got the status of classical language know what it is and who recommends it


मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बांग्ला अब भारत में क्लासिक लैंग्वेज की सूची में शामिल हो गई हैं. केंद्र सरकार ने इन भारतीय भाषाओं को क्लासिक लैंग्वेज के तौर पर मान्यता दी है. इन भाषाओं के अलावा इस लिस्ट में पहले से ही 6 और भारतीय भाषाएं थीं. ये भाषाएं संस्कृत, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और उड़िया हैं.

यानी अब क्लासिकल लैंग्वेज की लिस्ट में कुल 11 भारतीय भाषाएं हो गई हैं. चलिए अब इस आर्टिकल में जानते हैं कि आखिर क्लासिकल लैंग्वेज होती क्या हैं और भारतीय भाषाओं को क्लासिकल लैंग्वेज की लिस्ट में शामिल करने की सिफारिश कौन करता है.

क्लासिकल लैंग्वेज क्या होती है

क्लासिक लैंग्वेज यानी शास्त्रीय भाषाएं वो भाषाएं हैं जो भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को अपने में संजोए हुए हर समुदाय को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्वरूप प्रदान करती हैं. वहीं किसी भाषा को क्लासिकल भाषा की लिस्ट में शामिल करने के लिए कुछ मानदंड होते हैं. जैसे- उस भाषा का रिकॉर्ड 1500 से 2000 पुराना होना चाहिए. इसके अलावा भाषा का प्राचीन साहित्य हो और उस भाषा में ग्रंथों का संग्रह होना चाहिए.

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कौन करता है सिफारिश

किसी भी भारतीय भाषा को क्लासिकल लैंग्वेज की लिस्ट में शामिल करने की सिफारिश केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की भाषा विज्ञान विशेषज्ञ समिति करती है. आपको बता दें, इस समिति में, केंद्रीय गृह मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ ही चार से पांच भाषा विशेषज्ञ भी शामिल होते हैं. वहीं इस समिति की अध्यक्षता साहित्य अकादमी के अध्यक्ष करते हैं.

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शास्त्रीय भाषा बनने का लाभ क्या है

जब किसी भारतीय भाषा को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता मिलती है तो उसके बाद प्राचीन साहित्यिक धरोहर जैसे ग्रंथों, कविताओं, नाटकों आदि का डिजिटलीकरण और संरक्षण किया जाता है. इसका फायदा ये होता है कि आने वाली पीढ़ियां उस धरोहर को समझ और सराह सकती हैं. इसके अलावा शास्त्रीय भाषाओं के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार शुरू किए जाते हैं और यूनिवर्सिटी में इन भाषाओं के लिए पीठें बनाई जाती हैं. इसके अलावा शास्त्रीय भाषाओं के प्रचार के लिए केंद्र सरकार की भी मदद मिलती है.

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