Cleaning Of Yamuna River Is Far From Satisfactory: NGT – यमुना नदी की सफाई संतोषजनक स्थिति से कोसों दूर : एनजीटी


यमुना नदी की सफाई संतोषजनक स्थिति से कोसों दूर : एनजीटी

यमुना को लेकर दिए रिपोर्ट में मौजूदा एसटीपी की क्षमता के साथ निर्मित, उन्नत और वर्तमान में चालू एसटीपी का कोई उल्लेख नहीं है.

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के मुताबिक यमुना नदी की सफाई ‘संतोषजनक स्थिति से कोसों दूर है.’ एनजीटी ने यह भी पाया कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) और राष्ट्रीय राजधानी सरकार सहित अन्य एजेंसियों द्वारा दाखिल की गई रिपोर्ट में कई ‘खामियां’ हैं, जिनमें नदी में छोड़े जाने वाले नालों, जलमल शोधन संयंत्रों (एसटीपी) के संचालन की निगरानी और नदी के डूब क्षेत्रों को पूर्व की स्थिति में लाने जैसे मुद्दों के संबंध में जानकारी शामिल है.

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एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने रेखांकित किया कि अधिकरण के पहले के निर्देशों के आधार पर, दिल्ली सरकार, डीजेबी, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और हरियाणा ने नदी के बारे में स्थिति रिपोर्ट दाखिल की. पीठ में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल हैं.

पीठ ने कहा कि रिपोर्ट में कई खामियां हैं, जिनमें नदी में शोधित और गैर-शोधित अपशिष्ट जल छोड़ने वाले नालों का विवरण और छोड़े गए अपशिष्ट जल की मात्रा और गुणवत्ता की जानकारी शामिल है.

पीठ ने 17 अक्टूबर को पारित आदेश में कहा कि इसके अलावा, रिपोर्ट में मौजूदा एसटीपी की क्षमता के साथ निर्मित, उन्नत और वर्तमान में चालू एसटीपी का कोई उल्लेख नहीं है.

आदेश में कहा गया है कि रिपोर्ट में कृषि, बागवानी, निर्माण गतिविधियों, धूल शमन और अन्य उद्देश्यों के लिए उपचारित अपशिष्ट जल के उपयोग के लिए उठाए गए कदमों और नदी के डूब क्षेत्र की पूर्व स्थिति में बहाली के उपायों का उल्लेख भी नहीं है.

एनजीटी ने सीपीसीबी को रिपोर्ट में उल्लिखित तथ्यों और आंकड़ों को सत्यापित करने का निर्देश दिया. इसके साथ ही अधिकरण ने मामले की अगली सुनवाई के लिए सात दिसंबर की तारीख तय कर दी.

 



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