Complete Mechanism Of Gun Fire Do Shrapnel Come Out With The Bullet Know Here


Gun Fire: ट्रिगर दबाते ही बंदूक से तेज रफ्तार गोली निकलती है और निशाने को भेद देती है. बहुत हैरानी की बात है कि 1 से 2 इंच की गोली के साथ ऐसा क्या होता है कि यह पलक झपकते ही इतनी तेज रफ्तार से आगे बढ़ती है कि अपने रास्ते में आने वाली मजबूत चीजों को भी भेद देती है. क्लोज रेंज और एक्यूरेसी से चलाई गई गोली कभी फेल नहीं होती. कुछ लोगों का मानना है कि जब गोली बंदूक से निकलकर आगे बढ़ती है तो अपने चारों ओर छर्रे या बारूद फेंकती हुई है चलती है. ऐसे में अगर कोई इसके आगे बढ़ने के रास्ते के आसपास भी आता है तो ये उसे भी घायल कर देती है. लेकिन क्या सच में होता है?

गोली के होते हैं तीन हिस्से

सबसे पहले गोली चलने के पूरे मैकेनिज्म को समझते हैं. गोली या कार्ट्रिज के तीन हिस्‍से होते हैं- बुलेट, प्राइमर और प्रॉपेलेंट. असली बुलेट कार्ट्रिज से ही जुड़ी होती है और फायर करने पर निकलकर भागती है. कार्ट्रिज और कुछ पटाखों का डिजाइन लगभग एक जैसा होता है. 

किस हिस्से का क्या काम?

कार्ट्रिज में पीछे की ओर लगा प्राइमर एक प्रकार से फ्यूज की तरह काम करता है और आग पैदा करता है. इसके बाद गोली प्रॉपेलेंट होता है, जो गोली को टारगेट तक पहुंचने की ताकत देना है. कार्ट्रिज में सबसे आगे की ओर गोली होती है. ट्रिगर दबाने पर एक स्प्रिंग संयोजन से कार्ट्रिज के पिछले हिस्से पर चोट लगती है, जिससे प्राइमर में एक छोटा धमाका करता है. इससे प्रॉपेलेंट में आग लगती है. प्रॉपेलेंट केमिकल्‍स (बारूद) के जलने पर पर्याप्त मात्रा में गैसें बनती है. जिनके दबाव से गोली कार्ट्रिज से बाहर निकलकर लक्ष्य की ओर तेज रफ्तार से निकल जाती है.

ट्रिगर दबाने पर क्या होता है?

कार्ट्रिज में मौजूद प्रॉपेलेंट केमिकल्‍स में एक साथ विस्फोट नहीं होता है. क्योंकि अगर ऐसा होगा तो पूरी बंदूक ही दग जायेगी और उसे चलाने वाला ही मारा जायेगा. ये धीरे-धीरे जलना शुरू करते हैं और जैसे-जैसे गोली बैरल में आगे बढ़ती है, इसके जलने की रफ्तार बढ़ जाती है. इस तरह इस पूरी प्रक्रिया में ऐन मौके पर गोली को आखिरी किक मिलती है और वह विनाशकारी रफ्तार के साथ निकलकर भागती है.

क्या गोली के साथ छर्रे या बारूद निकलते हैं?

जब बन्दूक से गोली चलाई जाती है तो न तो छर्रे निकलते हैं और न ही बारूद. कारतूस (Cartridge) के अंदर प्राइमर, बारूद और गोली होती है. जब ट्रिगर खींचने पर बारूद तेजी से जलता है तो बड़ी मात्रा में उच्च दबाव वाली गैस का उत्पादन करता है.  यह गैस तेजी से फैलती है, जिससे एक बल बनता है जो गोली को बन्दूक की नली से बाहर धकेलता है. लेकिन बारूद कारतूस के सीमित स्थान के अंदर जलता है. इसका मतलब हुआ, ऐसा नहीं है कि बंदूक से लक्ष्य तक गोली के साथ बारूद भी जलता हुआ जायेगा.

ज्यादा पास होने पर हो सकते हैं घायल

संभव है कि बंदूक की नली के बेहद पास और अगर कोई होगा तो वह बारूद से बनी गर्म गैसों से घायल हो जाए. बंदूक की नली से बहुत थोड़ी दूरी तक आग निकलती है. इस दायरे में अगर कोई हो तो उसे चोट पहुंच सकती है. वरना ऐसा नहीं है कि गोली के साथ छर्रे भी निकलते हैं. छर्रा एक अलग तरह की गोली होती है, जो पक्षियों का शिकार करने या फिर निशानेबाजी में इस्तेमाल होते हैं.

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