Court Big Decision On Mukhtar Ansari May Come Today – माफिया मुख्तार अंसारी पर आज आ सकता है कोर्ट का बड़ा फैसला, जानिए कैसे अपराध की दुनिया में जमाया अपना सिक्का?



mukhtar Court Big Decision On Mukhtar Ansari May Come Today - माफिया मुख्तार अंसारी पर आज आ सकता है कोर्ट का बड़ा फैसला, जानिए कैसे अपराध की दुनिया में जमाया अपना सिक्का?

अब मुख्तार अंसारी को इस मामले में बड़ी सजा हो सकती है. उत्तर प्रदेश में चर्चित अवधेश राय हत्याकांड मामले ने देश भर में खूब सुर्खियां बटोरी थी. इस मामले में आज वाराणसी एमपी/एमएलए कोर्ट अपना फैसला सुनाने जा रही है. इस हत्याकांड में बाहुबली मुख्तारी अंसारी आरोपी है. वाराणसी के लहुराबीर क्षेत्र में 3 अगस्त, 1991 को अवधेश राय की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

 हथियारबंद हमलावरों ने अंधाधुंध फायरिंग कर अवधेश राय को मौत के घाट उतार दिया था. अवधेश राय को को कबीर चौरा अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. मृतक के भाई और पूर्व विधायक अजय राय ने मुख्तार अंसारी, पूर्व विधायक अब्दुल कलाम, राकेश  समेत पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. बाद में इसकी जांच CBCID को सौंप दी गई थी.

मुख्तार अंसारी ने जब वारदात को अंजाम दिया था, उस दौरान वह विधायक नहीं था. आज जब केस में फैसला आ रहा, तब भी वह विधायक नहीं है. केस की सुनवाई के दौरान जून 2022 में पता चला कि मामले की केस डायरी  गायब हो गई है. वाराणसी से लेकर प्रयागराज तक के कोर्ट में डायरी की खोज की गई पर वह नहीं मिली. पूरे मामले की सुनवाई फोटोस्टेट  के आधार पर की गई है. यह पहला मामला होगा जब डुप्लीकेट कागजों के आधार पर फैसला  सुनाया जाएगा.

मुख्तार की क्राइम कुंडली

मुख्तार अंसारी गाजीपुर के मोहम्मदाबाद युसूफपुर के एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखता है. मंडी परिषद की ठेकेदारी को 1988 में लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्‍तार का नाम पहली बार सामने आया. इसी दौरान त्रिभुवन सिंह के कांस्टेबल भाई राजेंद्र सिंह की हत्या बनारस में कर दी गई. इसमें भी मुख्तार का ही नाम सामने आया. 1990 में गाजीपुर जिले के तमाम सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह गैंग ने कब्जा शुरू कर दिया. अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए मुख्तार अंसारी के गिरोह से उनका सामना हुआ.

 1991 में चंदौली में मुख्तार पुलिस की पकड़ में आया. उस पर रास्ते में दो पुलिस वालों को गोली मारकर फरार होने का आरोप है. 1991 में कांग्रेस नेता अजय राय की हत्या के भी आरोप लगा. जिसमे अंसारी समेत पांच लोगों पर मुकद्दमा दर्ज कराया गया. इसके बाद सरकारी ठेके, शराब के ठेके, कोयला के काले कारोबार को बाहर रहकर हैंडल करना शुरू किया. 1996 में एएसपी उदय शंकर पर जानलेवा हमले में उसका नाम एक बार फिर सुर्खियों में आया.

1996 में मुख्तार पहली बार एमएलए बना, पांच बार विधायक रहा. 1997 में पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला व्यवसायी रुंगटा के अपहरण के बाद उनका नाम क्राइम की दुनिया में देश में छा गया. कहा जाता है कि 2002 में ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला कराया. इसमें मुख्तार के तीन लोग मारे गए. अक्टूबर 2005 में मऊ में हिंसा भड़की. इसके बाद उन पर कई आरोप लगे, जिन्हें खारिज कर दिया गया.

इसी दौरान मुख्तार ने गाजीपुर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, तभी से जेल में बंद हैं. कहा जाता है राजनीतिक रसूख की लड़ाई में मुख्तार ने इसी दौरान बीजेपी विधायक  कृष्णानंद राय की ak 47 से हत्या करा दी. 2010 में अंसारी पर राम सिंह मौर्य की हत्या का आरोप लगा. कृष्णानंद राय की हत्या के बाद मुख्तार अंसारी का दुश्मन ब्रजेश सिंह गाजीपुर-मऊ क्षेत्र से भाग निकला था.

साल 2008 में उसे उड़ीसा से गिरफ्तार किया गया था. 2008 में अंसारी को हत्या के एक मामले में एक गवाह धर्मेंद्र सिंह पर हमले का आरोपी बनाया गया था. 2012 में महाराष्ट्र सरकार ने मुख्तार पर मकोका लगा दिया था. उनके खि‍लाफ हत्या, अपहरण, फिरौती जैसे कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. फिलहाल मुख्तार अंसारी पर कुल 61 मामले दर्ज है, जिसमे अधिकतर मामले गाजीपुर के हैं.

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