CR Rao Dies: 30 रुपये ने बदली तकदीर, जहां से किए पढ़ाई वहीं के बनें डायरेक्टर, ऐसा रहा इनका सफर



famous mathematician and statistician CR Rao Dies CR Rao Dies: 30 रुपये ने बदली तकदीर, जहां से किए पढ़ाई वहीं के बनें डायरेक्टर, ऐसा रहा इनका सफर

Mathematical Statistician CR Rao Dies: भारत ने जिस दिन चंद्रमा पर अपना कदम रखा, उसी दिन अपने महान गणितीय सितारों में से एक को खो दिया. भारत के महानतम गणितज्ञों और सांख्यिकीविदों में से एक सी राधाकृष्ण राव का उनके 103वें जन्मदिन से लगभग दो सप्ताह पहले 23 अगस्त की सुबह अमेरिका में निधन हो गया. अपने सहकर्मियों और छात्रों के बीच डॉ. राव के नाम से जाने जाने वाले भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) के पूर्व निदेशक इस साल की शुरुआत में तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्हें सांख्यिकी में अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इस पुरस्कार को लोग नोबेल पुरस्कार के बराबर मानते हैं.

राव ने आंध्र विश्वविद्यालय में गणित का अध्ययन किया और शीर्ष सम्मान के साथ डिग्री प्राप्त की. उनकी प्रतिभा को पहचानकर उनके पिता ने उन्हें हायर मैथेमैटिक्स का अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित किया. वर्ष 1941 में अपने पिता की मृत्यु के बाद राव को भारतीय सेना में नौकरी के आवेदन से संबंधित एक साक्षात्कार के लिए कलकत्ता बुलाया गया था. ISI के बारे में जानने वाले एक व्यक्ति से अचानक मुलाकात राव को प्रेसीडेंसी कॉलेज ले आई, जहां प्रशांत चंद्र महालनोबिस ने ISI की स्थापना की थी (इसके अपने परिसर में स्थानांतरित होने से पहले). कुछ फैकल्टी मेंबरों और कार्यकर्ताओं से बात करके राव को लगा कि ISI उनके लिए सही जगह है.

वर्ष 2013 में एक साक्षात्कार में, राव ने कहा था कि मैं विशाखापत्तनम वापस गया और अपनी मां से कहा कि वह सांख्यिकी में ट्रेनिंग के लिए ISI में भर्ती होना चाहता हूं. कोलकाता में रहने के लिए मुझे 30 रुपये प्रति माह का खर्च आएगा. उन्होंने कहा कि वह किसी तरह पैसे जुटा लेगी और मुझे ISI में शामिल होने के लिए कोलकाता जाना चाहिए. मैंने अपनी जेब में 30 रुपये लेकर कोलकाता की यात्रा की और 1 जनवरी 1941 को ISI में शामिल हो गया. राव का मौलिक योगदान सांख्यिकी के क्षेत्रों में रहा है, जो इंफॉर्मेशन के सूचना के कुशल निष्कर्षण के लिए एक प्रयोग को डिजाइन करने और प्रयोग के रिजल्टों का उपयोग करके वैज्ञानिक परिकल्पना का परीक्षण करने से संबंधित है.

ISI में मिला था टेक्निकल अपरेंटिस का ऑफर
एमए करने के बाद राव को ISI में टेक्निकल अपरेंटिस के लिए ऑफर किया गया था. उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में सांख्यिकी पढ़ाना भी शुरू किया. वर्ष 1944 में, उन्होंने एक मौलिक रिजल्ट प्राप्त किया, जिसके साथ उनका नाम जुड़ा हुआ है -क्रैमर-राव बाउंड. वर्ष 1945 में उन्होंने एक रिजल्ट सिद्ध किया जिसे अब राव-ब्लैकवेल थ्योरम के रूप में जाना जाता है. वह कैम्ब्रिज गए और आधुनिक सांख्यिकीय विज्ञान के संस्थापक रोनाल्ड फिशर के अधीन पीएचडी प्राप्त की. अपनी पीएचडी के दौरान उन्होंने एक विधि की खोज की, जिसे अब राव के स्कोर टेस्ट के रूप में जाना जाता है, जिसका उपयोग विज्ञान की सभी शाखाओं में किया जाता है.

ISI के रह चुके हैं डायरेक्टर  
राव वर्ष 1948 में भारत लौट आए और 28 साल की उम्र में ISI में प्रोफेसर बन गए. वर्ष 1964 में उन्हें इसका निदेशक नियुक्त किया गया. ISI से सेवानिवृत्ति के बाद वह अमेरिका चले गए. वर्ष 1982 में, उन्होंने पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में बहुभिन्नरूपी विश्लेषण केंद्र की स्थापना की. वह वर्ष 1988 में पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में शामिल हुए. 2007 में, हैदराबाद विश्वविद्यालय ने सी आर राव एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिक्स, स्टैटिस्टिक्स एंड कंप्यूटर साइंस खोला. वर्ष 2010 के आसपास, राव एमहर्स्ट में बफ़ेलो विश्वविद्यालय चले गए. उन्होंने अपना अंतिम वैज्ञानिक कार्य अपने 100वें वर्ष में प्रकाशित किया था.

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