Google Profile: पर ऐसे बनाएं अपना वर्चुअल कार्ड, इससे फेक प्रोफाइल पर लगेगी रोक
Google Profile: गूगल (Google) ने पिछले दिनों भारत में ‘People Cards’ सर्विस रोल आउट किया है. इस फीचर के जरिए यूजर्स अपना वर्चुअल विजिटिंग कार्ड (Virtual visiting card) बना सकेंगे. जिसमें यूजर्स अपनी वेबसाइट, सोशल मीडिया हैंडल और दूसरी जानकारी आसानी से शेयर कर सकेंगे.
नई दिल्ली. गूगल ने पिछले दिनों भारत में ‘People Cards’ सर्विस रोल आउट किया है. इस फीचर के जरिए यूजर्स अपना वर्चुअल विजिटिंग कार्ड बना सकेंगे. जिसमें यूजर्स अपनी वेबसाइट, सोशल मीडिया हैंडल और दूसरी जानकारी आसानी से शेयर कर सकेंगे. आपको बता दें कि गूगल के people cards फीचर से लोगों को गूगल पर सर्च करना भी आसान हो जाएगा. आइए जानते है कि यह वर्चुअल कार्ड किस तरह से गूगल पर बनाया जा सकता है…
‘People cards’ बनाने के लिए गूगल अकाउंट है जरूरी- यदि आप गूगल की people cards सर्विस का फायदा उठाना चाहते है. तो इसके लिए आपके पास गूगल पर अकाउंट होना चाहिए. क्योंकि इसी अकाउंट की मदद से गूगल आपका नाम सर्च किए जाने पर People cards की जानकारी यूज़र के सामने डिस्प्ले करेगा. इसके साथ ही people cards बनाने के लिए आपको मोबाइल नंबर भी देना होगा.
फिलहाल मोबाइल पर ही यूज कर सकते है यह सर्विस- गूगल ने अपनी ‘people cards’ सर्विस फिलहाल मोबाइल यूजर्स के लिए ही शुरू की है. इसके साथ ही ये सर्विस अभी केवल अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध है. माना जा रहा है कि गूगल इस सर्विस को बहुत जल्द ही अन्य भाषाओं के साथ सभी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराएंगा.
ऐसे बनाएं अपना people card- अपना people card बनाने के लिए सबसे पहले गूगल अकाउंट में साइन-इन करें. इसके बाद आपको ‘add me to search’ सर्च करना है. ऐसा करने के बाद आपको ‘add yourself to google search’ का ऑप्शन मिलेगा. इस मैसेज पर टैप करें. टैप करने के बाद गूगल आपसे आपका फोन नंबर मांगेगा. नंबर को 6 अंकों वाले कोड से वेरिफाइ करना होगा. जो एंटर किए गए मोबाइल नंबर पर आएगा. इसके बाद गूगल आपको एक फॉर्म देगा. इसमें आपको पब्लिक प्रोफाइल बनाने के लिए जरूरी जानकारियां देनी होंगी. यहां आपको अपने काम, पढ़ाई के अलावा और भी कई डिटेल एंटर करने की सुविधा मिलेगी.
People card से फेक प्रोफाइल पर लगेगी रोक- गूगल का कहना है कि इस सर्विस के जरिए वह पब्लिक तक सही जानकारी पहुंचाने की कोशिश कर रहा है. इस सर्विस के आने से गलत यूज़र, भाषा और लो-क्वॉलिटी कॉन्टेंट को पहचानने में मदद मिलेगी.