Darbhanga farmers on marua cultivation benefits challenges sa


दरभंगा : भारत में कृषि एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो देश की अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसी क्रम में, मरूआ की फसल एक अनमोल उपहार है, जो किसानों के लिए आय का स्रोत और उपभोक्ताओं के लिए पोषण से भरपूर है. दरभंगा जिले में मरूआ की खेती किए हीरालाल यादव जब मुझे मिले तो हमने उनसे यह जानना चाहा कि आज भी यह मरूआ की खेती कर रहे हैं और कितना फायदा नुकसान हो रहा है तो उन्होंने बताया कि मरूआ की खेती में काफी मेहनत होती है. यह सूखा समय की खेती है और बारिश होने पर यह फसल बर्बाद हो जाती है.  थोड़ा बहुत यानी कम मात्रा में मरूआ की खेती करते हैं.

लोकल 18 से बात करते हुए उन्होंने ये भी बताया कि वैसे अन्य दिन मार्केट में यह ₹30 किलो बिकता है लेकिन जब जितिया जैसे महान पर्व होते हैं उसमें इस मरूआ की डिमांड बढ़ जाती है. उसमें ₹50 मरूआ बिकता है प्रति किलो. इसकी खेती करने के लिए सबसे पहले मरूआ का बीज बोया जाता है उसके बाद कदवा करके धान के तरह इसके छोटे-छोटे पौधों को रोपा जाता है.

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मरूआ क्या है?
मरूआ एक प्रकार का अनाज है, जो छोटे दानों में उगता है. यह फसल मुख्य रूप से शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उगाई जाती है, जहां अन्य फसलें उगाना मुश्किल होता है. मरूआ की फसल की विशेषता है कि यह कम जल और उर्वरक की आवश्यकता होती है, जिससे यह किसानों के लिए एक आकर्षक विकल्प है.

मरूआ की फसल के फायदे

मरूआ की फसल के कई फायदे हैं:
पोषण से भरपूर: मरूआ में प्रोटीन, फाइबर, और विटामिन्स की अधिकता होती है, जो इसे एक स्वस्थ आहार का हिस्सा बनाती है.
जलवायु परिवर्तन के अनुकूल: मरूआ की फसल जलवायु परिवर्तन के अनुकूल है, जिससे यह भविष्य में भी एक महत्वपूर्ण फसल बनी रहेगी.
आय का स्रोत: मरूआ की फसल किसानों के लिए आय का स्रोत है, जिससे वे अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं.
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है: मरूआ की फसल मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है, जिससे अन्य फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होती है.
मरूआ की फसल की चुनौतियाँ

मरूआ की फसल की कुछ चुनौतियां भी हैं:
उत्पादकता में कमी: मरूआ की फसल की उत्पादकता अन्य फसलों की तुलना में कम होती है.
बाजार की कमी: मरूआ की फसल के लिए बाजार की कमी है, जिससे किसानों को अपनी उपज बेचने में परेशानी होती है.
सरकारी समर्थन की कमी: मरूआ की फसल के लिए सरकारी समर्थन की कमी है, जिससे किसानों को वित्तीय सहायता नहीं मिलती है.

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