पुलिस कमिश्नर की बेटी ने शुरू की फ्री laptop- टैबलेट देने की मुहिम, छात्रों को मिल रही मदद
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ऑटो चलाने वाले की बेटी संगीता को उस समय राहत मिली, जब वह आसानी से टैबलेट का इस्तेमाल कर ऑनलाइन क्लास में शामिल हो सकी. दरअसल, चेन्नई में बी.कॉम का कोर्स करने वाली संगीता पहले ऑनलाइन कक्षा के लिए अपने चचेरे भाई का डिवाइस इस्तेमाल करती थी लेकिन आज वह खुद का डिवाइस इस्तेमाल कर रही है जो उन्हें गिफ्ट के रूप में मिला है. संगीता की मदद कक्षा 12वीं की छात्रा गुनीशा अग्रवाल ने की है, जो इस्तेमाल किए गए स्मार्टफोन और लैपटॉप जरूरतमंद छात्रों तक पहुंचा रही हैं.
संगीता कहती हैं, “टैबलेट काफी उपयोगी है. पिछले साल सरकार द्वारा दिया गया मुफ्त लैपटॉप क्रैश हो गया. मैं बैंकर बनना चाहती हूं. ऐसे में टैबलेट मेरी पढ़ाई में काफी मदद करेगा. बता दें, गुनीशा के कारणा चेन्नई में एक रेस्तरां के वेटर की 10वीं कक्षा में पढ़ रही बेटी को राहत मिली है.
जानें- कौन हैं गुनीशा?
गुनीशा चेन्नई पुलिस कमिश्नर महेश कुमार अग्रवाल की बेटी हैं. एक बार गुनीशा ने देखा, उनकी मां ने घर में काम करने वाली की बेटी को इस्तेमाल किया हुआ लैपटॉप दिया, ताकि वह ऑनलाइन क्लास में शामिल हो सके. अपने मां के इस काम से वह काफी प्रेरित हुईं. इसके बाद उसने लैपटॉप या स्मार्टफोन जरूरतमंद छात्रों की मदद के लिए एक वेबसाइट www.helpchennai.org बना दी.
अब तक गुनीशा ने चार छात्रों को डिवाइस दिए हैं और 20 उपयोग किए गए लैपटॉप सहित 25 डिवाइस जमा किए हैं. लगभग 15 छात्रों ने अब तक उन डिवाइस के लिए आवेदन किया है, जिन्हें वह इस सप्ताह उन्हें देंगी.
एक आईटी सलाहकार बालासुब्रमण्यन, जिन्होंने यह बताया कि “मुझे बुरा लगा कि आईटी स्पेस में होने के बावजूद हमने इस तरह के एक प्लेटफॉर्म के बारे में नहीं सोचा था”
गुनीशा ने कहा, महामारी के कारण, कई लोगों की नौकरी चली गई है. ऐसे में जरूरतमंदों को डिवाइस पहुंचाना हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है. वह इकोनॉमिक्स और लॉ की पढ़ाई कर रही हैं. आज गुनीश के प्रयास से अधिक छात्रों की मदद के लिए नए रास्ते खुल रहे हैं.
मार्क मेट्रो विज्ञापन के निदेशक आर आनंदकृष्णन अपने 100 टैबलेट का योगदान गुनीशा की मुहिम में कर रहे हैं और अपने रोटरी क्लब ऑफ चेन्नई टॉवर्स के माध्यम से लगभग 12 लाख रुपये का दान भी कर रहे हैं.
ऑनलाइन कक्षा में मदद करने के अलावा गुनीशा ने कोविड- 19 लॉकडाउन के दौरान भोजन के पैकेट पहुंचाने में कई जरूरतमंदों की मदद की है, अब वह किसी भी NGO के साथ मिलकर काम करना चाहती है. ताकि उन छात्रों की मदद कर सके, जिन्हें डिजिटल डिवाइस की जरूरत है.