Dausa Upchunav: पानी की एक-एक बंद के लिए तरस रहे लोग, 10-15 दिन में होते हैं दर्शन, महिलाओं ने बयां किया दर्द


दौसा: राजस्थान के दौसा में चल रहे उपचुनाव के दौरान पानी की समस्या सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभर रही है. ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही दौसा सिटी में भी पानी की गंभीर समस्या है, जिससे आमजन और किसान दोनों परेशान हैं. ग्रामीणों, खासकर महिलाओं का कहना है कि खेती के लिए आवश्यक पानी की भीषण कमी है, जिससे पशुपालन भी प्रभावित हो रहा है. दौसा सिटी में तो नलों में पानी 10-15 दिन में एक बार ही आता है. चुनाव के समय नेताओं का आना-जाना होता रहता है, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान नहीं होता.

ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि कई गांवों में पानी खारा है, जो पीने योग्य नहीं होता. यह पानी खेती के लिए भी उपयोगी नहीं है, जिसके चलते उन्हें पीने योग्य पानी के लिए टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ता है. यह व्यवस्था न केवल खर्चीली है, बल्कि स्थायी समाधान से कोसों दूर है.

नेता आते हैं, पर समस्या नहीं सुलझती
ग्रामीण महिला ने बताया कि चुनाव के दौरान नेता बड़े-बड़े वादे करके चले जाते हैं, लेकिन पानी की समस्या जस की तस बनी रहती है. यदि जनता को समय पर पानी मिल जाए तो उनकी समस्याएं काफी हद तक हल हो सकती हैं. महिलाएं दिनभर पानी के लिए संघर्ष करती हैं और मुश्किल से पीने योग्य पानी का इंतजाम कर पाती हैं.

बारिश के बावजूद पानी की कमी
हालांकि इस साल अच्छी बारिश हुई है, फिर भी दौसा जिले के कई हिस्सों में पानी की समस्या बनी हुई है. जिला मुख्यालय पर भी पानी की स्थिति संतोषजनक नहीं है, जहां 10-15 दिन में एक बार ही नलों में पानी आता है. इस असुविधा के कारण महिलाओं को अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है.

कुओं में बचा है थोड़ा पानी
ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ जगहों पर ही कुओं में थोड़ा-बहुत पानी उपलब्ध है, जिसे पशुओं और अन्य आवश्यकताओं के लिए उपयोग किया जा रहा है. जिले के अधिकांश गांवों में पानी की गंभीर समस्या विकराल रूप ले रही है, जिससे खेती भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है. महिलाएं कहती हैं कि चुनाव में पानी के मुद्दे पर दावे किए जाते हैं, पर धरातल पर कुछ बदलाव नजर नहीं आता.

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