Dead Bodies Are Left For Vultures After Death This Is Strange Tradition Of Parsi Community
Strange Tradition: दुनियाभर में कई अलग-अलग समुदाय के लोग रहते हैं. हर समुदाय की अपनी अलग परंपरा और रीति-रिवाज होते हैं. शादियों से लेकर तमाम तरह के समारोह के लिए इनके अपने अलग नियम होते हैं. साथ ही अंतिम संस्कार के तरीके भी अलग-अलग होते हैं. कई समुदाय मौत के बाद अपने परिवार के सदस्य का जलाकर अंतिम संस्कार करते हैं तो कई समुदायों में शवों को दफनाने की परंपरा चली आ रही है, लेकिन एक ऐसी परंपरा भी है, जिसे सुनकर आपके होश उड़ सकते हैं. एक समुदाय अपने सदस्यों के शवों को गिद्धों के लिए छोड़ देता है. जिसके बाद गिद्ध शव को नोचकर खाते हैं.
काफी पुरानी है प्रथा
पारसी समुदाय में ये प्रथा काफी पहले से चली आ रही है. जिसे दुनियाभर में आज भी कई लोग मानते हैं. इसमें अपने परिजनों के शव को एक जगह पर छोड़ दिया जाता है, इसे टावर ऑफ साइलेंस कहा जाता है. इस प्रथा को दखमा कहते हैं. पारसी लोगों का मानना है कि मौत के बाद मनुष्य का शरीर प्रकृति को लौटाना होता है, क्योंकि उसी से ये शरीर मिला है. भारत में कोलकाता में टावर ऑफ साइलेंस बनाया गया था.
बीबीसी से बातचीत में कोलकाता के पारसी अग्नि मंदिर के पुजारी जिमी होमी तारापोरवाला ने बताया कि टावर ऑफ साइलेंस सिर्फ गिद्धों पर ही निर्भर नहीं रहता है, इसमें अन्य पंक्षी भी शामिल होते हैं. साथ ही सूरज की गर्मी से भी शरीर धीरे-धीरे खत्म हो जाता है.
ऐसे रखे जाते हैं शव
कुछ पारसी लोग ये भी मानते हैं कि शवों को जलाने या फिर नदी में फेंकने से वो प्रदूषण का एक कारण बनते हैं. इसीलिए शवों को एक कुंए में डाल दिया जाता है. शवों को इस तरह से रखा जाता है कि उन्हें गिद्ध जैसे पक्षी पूरी तरह से खा लें, कुछ सालों बाद जब शव पूरी तरह से खत्म हो जाते हैं तो सिर्फ हड्डियां ही बचती हैं. इन हड्डियों का दो-तीन साल में निपटारा किया जाता है.
हालांकि टावर ऑफ साइलेंस में अब काफी कम ही शव आते हैं. क्योंकि गिद्धों की संख्या भी लगातार कम हो रही है और इनके नजदीक रिहायशी आबादी भी बढ़ रही है. साथ ही इस परंपरा को मानने वालों की संख्या भी पिछले कुछ सालों में कम हुई है.