Dehradun News: पहाड़ के वाद्ययंत्रों से सजा ‘उत्तराखंड लोक विरासत’ का मंच, गांव-गांव से ढूंढकर लाए कलाकार



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देहरादून. उत्तराखंड की संस्कृति को समेटे हुए राजधानी देहरादून में उत्तराखंड लोक विरासत का आज यानी रविवार को आखिरी दिन है. हरिद्वार रोड स्थित बलूनी स्कूल में आयोजित यह दो दिवसीय कार्यक्रम 14 दिसंबर से शुरू हुआ था. इसमें उत्तराखंड के पांरपरिक वाद्ययंत्रों जैसे- मशकबीन, ढोल, दमाऊ आदि का संगीत सुनने के साथ-साथ आप उत्तराखंड के व्यंजनों का स्वाद ले सकेंगे. उत्तराखंड के सुरों के सरताज गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी, जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण समेत कई लोक कलाकारों से पहाड़ के गीतों का भी आनंद ले पाएंगे.

उत्तराखंड लोक विरासत के आयोजक डॉ केपी जोशी ने लोकल 18 को जानकारी देते हुए कहा कि हम पहाड़ की विरासत को जिंदा रखना चाहते हैं, इसीलिए हम पिछले एक दशक से हर साल उत्तराखंड लोक विरासत कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं. हरिद्वार बाईपास पर स्थित बलूनी पब्लिक स्कूल में इसका आयोजन किया गया है, जहां पहाड़ी वाद्ययंत्र और लोक कलाकारों की सुंदर प्रस्तुति लोगों को आकर्षित कर रही है. इसके साथ ही यहां उत्तराखंड के गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी लोक नर्तक भी प्रस्तुति देंगे. यहां आपको उत्तराखंड के परंपरागत परिधान, व्यंजन और हस्तशिल्प कला के खूबसूरत नमूने प्रदर्शनी में मिल जाएंगे.

गांव-गांव से ढूंढकर लाए कलाकार
उन्होंने कहा कि दो दिन संगीत संध्या में लगभग 50 लोक कलाकारों के कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं. यहां गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी, जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण, मीना राणा, सौरभ मैठानी समेत उत्तराखंड के लोकगायक प्रस्तुति देंगे. हमारा उद्देश्य यह है कि आज की युवा पीढ़ी तक हम वो सारी बातों को पहुंचा पाएं, जो हमने अपने बुजुर्गों से सीखी हैं. आज बच्चे वेस्टर्न कल्चर और वेस्टर्न म्यूजिक की ओर ज्यादा रुझान दिखाते हैं लेकिन हमारे पहाड़ में कई वाद्ययंत्र ऐसे रहे हैं, जिनका बहुत महत्व रहा है और आज की पीढ़ी उन्हें नहीं जानती क्योंकि ये विलुप्त होते जा रहे हैं और न ही इन्हें बजाने वाले ज्यादा लोग बचे हैं. यही वजह है कि हम ढोल, दमाऊ और मशकबीन बजाने वाले कलाकारों को पहाड़ के गांव-गांव से ढूंढकर लाए हैं. इसके जरिए हम उत्तराखंड की संस्कृति को बढ़ाने और विलुप्त होते वाद्ययंत्रों को आगे लाने के लिए एक कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के लगभग 150 कलाकार परफॉर्म कर रहे हैं, जिनमें मशहूर कलाकारों से लेकर उभरते हुए वे कलाकार भी शामिल हैं, जिन्हें मंच नहीं मिल पाया है.

हैंडीक्राफ्ट के शौकीनों के लिए भी बेहतरीन जगह
डॉ जोशी ने आगे कहा कि उत्तराखंड लोक विरासत न सिर्फ रंगमंच कार्यक्रमों को लोगों तक पहुंचाने का काम करता है बल्कि यह उत्तराखंड के हस्तशिल्प कलाकारों को भी बढ़ावा देने का काम करता है. हर साल की तरह इस साल भी कार्यक्रम में राज्य के अलग-अलग जिलों से हैंडीक्राफ्ट आर्टिस्ट पहुंचे हैं, जो पिरुल, लकड़ी आदि से खूबसूरत हैंडीक्राफ्ट बनाकर लाए हैं. तो जो लोग इन्हें खरीदना चाहते हैं, वे भी यहां आ सकते हैं.

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