Delhi Assembly Election 2025 The last and first time President rule was imposed in the capital in 2014
दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 सीटों पर दिल्लीवासियों ने अपने मत का इस्तेमाल किया है. अब राजनीतिक पार्टियों से लेकर आम जनता को 8 फरवरी का इंतजार है, जब चुनाव के रिजल्ट घोषित होंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि किस स्थिति में राष्ट्रपति शासन लगता है और अभी तक दिल्ली में कितनी बार ऐसा हो चुका है. जानिए आपको दिल्ली में लगे राष्ट्रपति शासन के बारे में बताएंगे.
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क्या होता है राष्ट्रपति शासन
राष्ट्रपति शासन के तहत राज्य सरकार का नियंत्रण निर्वाचित मुख्यमंत्री के बजाय सीधे राष्ट्रपति के हाथ में आ जाता है. हालांकि इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से कार्यकारी अधिकार प्रदान किए जाते हैं. वहीं साथ ही राज्यपाल द्वारा सलाहकारों की नियुक्ती भी की जाती है, जो कि सेवानिवृत्त सिविल सेवक होते हैं.
कब लगता है राष्ट्रपति शासन?
सबसे पहले ये जानते हैं कि राष्ट्रपति शासन कब लगता है. बता दें कि संविधान में राष्ट्रपति शासन को लेकर नियम हैं. दरअसल राज्यों में राष्ट्रपति शासन को लेकर संविधान के अनुच्छेद 352 में कहा गया है कि राज्य सरकार संविधान के मुताबिक अगर काम नहीं करता है और राष्ट्रपति इन रिपोर्ट्स से संतुष्ट होती हैं, तो राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है. हालांकि राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के दो महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा इसका अनुमोदन करना भी जरूरी है.
कितने दिनों के लिए लग सकता है राष्ट्रपति शासन
अब सवाल है कि राष्ट्रपति शासन की अवधि क्या होती है ? बता दें कि राष्ट्रपति शासन को यदि संसद द्वारा अनुमोदित कर दिया जाता है, तो यह छह-छह माह तक चलता है. हालांकि अगले तीन सालों के लिए छह-छह माह की अवधि में बढ़ाया जा सकता है.
दिल्ली में कितनी बार लग चुका है राष्ट्रपति शासन
बता दें 11 साल पहले दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा था. दिल्ली के इतिहास में पहली और आखिरी बार 2014 में ही राष्ट्रपति शासन लगा था. दिल्ली में जब फरवरी 2014 में राष्ट्रपति शासन लगा था, उस वक्त मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी ही थी. वहीं राजनीति में आने के बाद अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में जब आम आदमी पार्टी ने दिसंबर 2013 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था, तो पार्टी सिर्फ 28 सीट ही जीती थी. लेकिन सरकार चलाने के लिए 36 विधायकों का समर्थन चाहिए था. तब कांग्रेस के समर्थन से आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में सरकार बनाई थी. लेकिन यह सरकार कुल 49 दिनों तक ही चली थी.
करीब 1 साल के लिए लगा था राष्ट्रपति शासन
दिल्ली विधानसभा में जब विपक्ष में बैठे भाजपा ने केजरीवाल सरकार से जन लोकपाल बिल लाने को मांग की थी, तो सरकार वह बिल लाई थी, लेकिन कांग्रेस का समर्थन इस बिल को नहीं मिला था. ऐसी स्थिति बनी की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 49 दिन की सरकार चलाने के बाद ही इस्तीफा देना पड़ा था. उस वक्त तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफा को स्वीकारते हुए तत्काल प्रभाव से दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था. 13 फरवरी 2015 तक 363 दिन राष्ट्रपति शासन लगने के बाद केजरीवाल ने 14 फरवरी 2015 को फिर से सरकार बनाई थी. उस वक्त पूर्ण बहुमत से आम आदमी पार्टी ने चुनाव जीता और 70 में से 67 सीटें हासिल की थीं, जो कि देशभर की विधानसभाओं में एक इतिहास है.
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