Delhi CM Arvind Kejriwal Gets Support Of Akhilesh Yadav On Centre Ordinance Transfer Posting Case – एंटी डेमोक्रेटिक है दिल्ली का अध्यादेश : अरविंद केजरीवाल को मिला अखिलेश यादव का साथ



Delhi CM Arvind Kejriwal Gets Support Of Akhilesh Yadav On Centre Ordinance Transfer Posting Case - एंटी डेमोक्रेटिक है दिल्ली का अध्यादेश : अरविंद केजरीवाल को मिला अखिलेश यादव का साथ

साथ देने के लिए अखिलेश यादव का शुक्रिया- केजरीवाल

मीडिया ब्रीफिंग में अरविंद केजरीवाल ने अखिलेश यादव का समर्थन के लिए शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा, “अखिलेश यादव से काफी लंबी बातचीत हुई. दिल्ली के लोगों ने वोट देकर हमको चुना है. तीन महीने बाद ही हमारी शक्तियां छीन ली गई थी. मोदी सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिल्ली सरकार की शक्तियां छीन ली थी. 8 साल की लड़ाई के बाद हमारी शक्तियां वापस मिली थी. दिल्ली के लोगों को अपना अधिकार पाने के लिए 8 साल लग गए थे. लेकिन 8 दिन बाद ही मोदी सरकार ने अध्यदेश जारी कर नोटिफिकेशन रद्द कर दिया. संसद के अंदर जब अध्यादेश आएगा, तो लोकसभा में जरूर पास हो जाएगा लेकिन राज्यसभा में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है. दिल्ली के 2 करोड़ लोगों की तरफ से अखिलेश यादव का शुक्रिया. उन्होंने हमारा साथ देने का भरोसा दिया है.”

 

इलेक्टेड और सेलेक्टेड में हमें फर्क करना होगा- भगवंत मान

इस दौरान पंजाब के मु्ख्यमंत्री भगवंत मान, दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी, आप सांसद संजय सिंह और सपा नेता शिवपाल सिंह यादव भी मौजूद रहे. पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा, “ये लड़ाई दिल्ली के लोगों की नहीं, बल्कि 140 करोड़ लोगों की है. राज्यपाल के जरिये सरकार को परेशान किया जाता है. इलेक्टेड और सेलेक्टेड में लोगों को फर्क करना पड़ेगा. उत्तर प्रदेश के कई लोग दिल्ली में रहते हैं. पंजाब में हमारी सरकार को परेशान किया जा रहा है. गवर्नर भी लगातार हमें परेशान करते है. राजभवन बीजेपी के हेडक्वार्टर बन चुके हैं और राज्यपाल स्टार प्रचारक बन गए हैं. विदेशी मेहमानों को बीजेपी दिल्ली के स्कूलों को दिखाती है. सपा जेपी आंदोलन से निकली हुई पार्टी है. लोकतंत्र की लड़ाई में अखिलेश यादव हमारे साथ हैं.”

अब तक 9 पार्टियों का मिला समर्थन

दिल्ली के ट्रांसफर-पोस्टिंग केस में केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ अरविंद केजरीवाल को अब तक 9 पार्टियों का समर्थन मिल चुका है. इससे पहले अरविंद केजरीवाल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, तमिलाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के चीफ शरद पवार और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे सहित कई नेताओं से मिल चुके हैं. इस दौरान सभी ने एक बात दोहराई है कि वो राज्यसभा में अध्यादेश के खिलाफ वोट करेंगे. 

ट्रांसफर-पोस्टिंग पर क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को फैसला दिया कि दिल्ली में सरकारी अफसरों पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल रहेगा. 5 जजों की संविधान पीठ ने एक राय से कहा- ‘पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन को छोड़कर उप-राज्यपाल बाकी सभी मामलों में दिल्ली सरकार की सलाह और सहयोग से ही काम करेंगे.’

केंद्र ने जारी किया अध्यादेश

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 7 दिन बाद केंद्र सरकार ने 19 मई को दिल्ली सरकार के अधिकारों पर अध्यादेश जारी कर दिया. अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का आखिरी फैसला उपराज्यपाल यानी LG का होगा. इसमें मुख्यमंत्री का कोई अधिकार नहीं होगा. ​​​​​​संसद में अब 6 महीने के अंदर इससे जुड़ा कानून भी बनाया जाएगा.

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका लगाई

दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार 19 मई को अध्यादेश लाने के ठीक एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. केंद्र ने संवैधानिक बेंच द्वारा दिए गए 11 मई के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट को फिर से विचार करने की अपील की है.

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