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Who Allots Houses To VVIPs: कुछ दिनों पहले ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा दिया है. इसके बाद आतिशी मार्लेना ने नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली है. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद केजरीवाल को सीएम आवास भी खाली करना पड़ा है. सीएम आवास खाली होने के बाद नई सीएम आतिशी मार्लेना को इस आवास में शिफ्ट होना था.

लेकिन जैसे ही दिल्ली की नवनियुक्त सीएम आतिशी मार्लेना का सामान इस आवास में पहुंचा. पीडब्ल्यूडी ने इस आवास को सील कर दिया. क्यों हो रहा है सीएम आवास को लेकर यह विवाद. भारत में नेताओं और वीवीआईपी को कौन करता है घर अलाॅट. चलिए आपको बताते हैं. 

दिल्ली सीएम आवास को लेकर विवाद क्यों?

जब किसी नेता को किसी पद के चलते कोई सरकारी आवास दिया जाता है. तो जैसे ही वह नेता उस पद से हटता है. उससे वह आवास वापस ले लिया जाता है. और उस पद पर आने वाले नए इंसान को वह आवास आवंटित कर दिया जाता है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दिया. इसके बाद उन्हें सीएम आवास खाली करने को कहा गया. और नई सीएम आतिशी मार्लेना ने नए घर में शिफ्ट होने की तैयारी कर ली. लेकिन इससे पहले की आई सी मार लेना सीएम आवास में शिफ्ट होतीं. पीडब्ल्यूडी ने सीएम आवास को सील कर दिया. 

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पीडब्ल्यूडी का कहना है कि अरविंद केजरीवाल की ओर से अभी यह घर उन्हें सौंपा नहीं गया है. जब पीडब्ल्यूडी को अरविंद केजरीवाल की ओर से घर सौंप दिया जाएगा उसके बाद विभाग इन्वेंटरी बनाएगा. और उसके बाद ही घर दोबारा किसी को अलाॅट किया जाएगा. क्योंकि घर सौंपने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है तो ऐसे में आतिशी मार्लेना अभी उसे घर में शिफ्ट नहीं हो सकती. पीडब्ल्यूडी को जब हैंडओवर मिल जाएगा उसके बाद घर का सर्वे किया जाएगा, इन्वेंटरी बनाई जाएगी उसके बाद ही घर दोबारा अलाॅट किया जाएगा. 

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नेताओं को संपदा निदेशालय अलाॅट करता है घर

जीपीआरए यानी जरनरल पूल रेजिडेंशियल अकोमोडेशन यह केंद्र सरकार की यह स्कीम है इसके तहत केंद्र सरकार कर्मचारियों को रहने के लिए आवास देती. इसकी पूरी जिम्मेदारी संपदा निदेशालय के अधीन होती है. नेताओं को भी घर अलाॅट करने का जिम्मा संपदा निदेशालय के पास होता है. इसमें केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को घर देने की प्रक्रिया में डीओई यानी डायरेक्टर ऑफ़ एस्टेट और लोकसभा और राज्यसभा की आवासीय समिति के पास जिम्मेदारी होती है. इसमें अलग-अलग कैटेगरी के बंगले होते हैं. जो टाइप I से लेकर टाइप VIII तक होते हैं. 

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