Delhi Election 2025 can Rohingya Muslims also cast vote in elections Know the truth


Delhi Election 2025: देश की राजधानी दिल्ली में इन दिनों सर्दी में भी गर्मी का एहसास दिख रहा है. यहां चुनाव के चलते माहौल गर्म है और तमाम राजनीतिक दल एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं. एक तरफ दल बदल का दौर जारी है, वहीं दूसरी तरफ रोहिंग्या मुस्लिमों का मुद्दा भी उछाला जा रहा है. रोहिंग्या पिछले कुछ सालों से भारतीय राजनीति का एक अहम हथियार रहे हैं, भले ही उन्हें कोई भी सुख सुविधाएं नहीं मिल रही हों, लेकिन उन्हें देश से बाहर करने और उनके वोट बैंक को लेकर राजनीति हमेशा से गर्म रही है. अब दिल्ली चुनावों में बीजेपी आरोप लगा रही है कि आम आदमी पार्टी इस वोट बैंक का फायदा उठा रही है. 

बीजेपी का दावा है कि आम आदमी वोट बैंक के लिए अवैध घुसपैठियों को पनाह दे रही है और उनका इस्तेमाल कर रही है. ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि क्या वाकई रोहिंग्या मुसलमान दिल्ली के चुनावों में वोट डालने वाले हैं, क्या वाकई ये एक बड़ा वोट बैंक है और क्या वाकई इन्हें वोट डालने से भी कोई सरोकार है?

दिल्ली में कुल कितने रोहिंग्या?
इन सभी सवालों का जवाब आपको हम देंगे, लेकिन पहले ये जान लेते हैं कि दिल्ली में कुल कितने रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं. सरकार की तरफ से तो इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं दिया गया है, लेकिन आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में तीन से पांच हजार तक की संख्या में रोहिंग्या रहते हैं. इनमें से ज्यादातर अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं, जिन्हें पुलिस छापेमारी में गिरफ्तार करती रहती है. हालांकि कुछ रोहिंग्या ऐसे हैं, जो शरणार्थी के तौर पर यहां रह रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र की तरफ से इन्हें मदद दी जाती है, क्योंकि यूएन ने रोहिंग्याओं को शरणार्थी का दर्जा दिया है.   

क्या वोटिंग का है अधिकार?
दिल्ली में रहने वाले सैकड़ों रोहिंग्या मुस्लिमों में से कुछ का वोटर आईडी कार्ड बना हुआ है, ये लोग कई सालों से दिल्ली में रह रहे हैं. आमतौर पर ये किसी झुग्गी या फिर फ्लाईओवर के नीचे रहते हैं. दिल्ली के शाहीन बाग, बक्करवाला और मदनपुर खादर में इनके लिए कैंप बनाए गए हैं. अवैध रूप से रहने वाले रोहिंग्या मुस्लिम इस बात से डरकर रहते हैं कि कहीं पुलिस उनकी पहचान ना कर ले, ऐसे में वोटर कार्ड बनाने का रिस्क भी नहीं उठाते हैं. यानी दिल्ली में कुछ ही रोहिंग्या मुस्लिमों को वोट देने का अधिकार है और उनके पास वोटर कार्ड हैं. ऐसे में इसे एक बड़ा वोट बैंक मानना किसी के लिए भी ठीक नहीं है. हालांकि हजारों बांग्लादेशी शरणार्थी पहली बार इस विधानसभा चुनाव में अपना वोट डालने जा रहे हैं.

सरकार कर रही है डिपोर्ट करने की तैयारी
भले ही रोहिंग्या मुस्लिमों को यूएन की तरफ से शरणार्थी का दर्जा दिया गया हो, लेकिन केंद्र की बीजेपी सरकार आज भी उन्हें अवैध घुसपैठिये मानती है. यही वजह है कि सरकार ने करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमानों को वापस उनके देश म्यांमार भेजने की बात कही है. रोहिंग्या मुस्लिमों के अलावा अवैध बांग्लादेशी लोगों की संख्या भी काफी ज्यादा है. साल 2016 में दिए गए एक जवाब में सरकार की तरफ से संसद में बताया गया कि इनकी संख्या करीब दो करोड़ तक हो सकती है. वहीं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में सरकार ने कोई भी आंकड़ा होने से इनकार कर दिया. 

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