Delhi University Law Courses Admission Will Remain Pending Till Decision On CLAT Score Comes In HC


DU Law Admission Case In High Court: दिल्ली यूनिवर्सिटी लॉ एडमिशन केस मे नया डेवलेपमेंट सामने आया है. हाईकोर्ट ने डीयू को अपनी सफाई पेश करने के लिए कुछ दिन का समय दिया है और बदले में यूनिवर्सिटी ने भी कोर्ट को ये भरोसा दिलाया है कि जब तक इस मामले में फैसला नहीं आ जाता, लॉ कोर्स में एडमिशन शुरू नहीं होंगे. डीयू के क्लैट स्कोर के बेसिस पर लॉ कोर्स में एडमिशन देने के फैसले को एक छात्र ने कोर्ट में चैलेंज किया है. इसी मुद्दे पर सुनवाई चल रही है.

क्या है मामला

मामले की तह तक जाएं तो मुद्दा ये है कि डीयू पांच साल के लॉ कोर्स में एडमिशन के लिए क्लैट यानी कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट 2023 के स्कोर को मान्यता देता है. जबकि पिटिशन दायर करने वाले छात्र का कहना है कि जब यूजी कोर्स में एडमिशन के लिए सीयूईटी यानी सेंट्रल यूनिवर्सिटी एडमिशन टेस्ट लिया जाता है तो लॉ कोर्स में एडमिशन के लिए अलग से परीक्षा आयोजित नहीं होनी चाहिए. सीयूईटी को ही आधार बनाकर लॉ कोर्स में भी प्रवे दिए जाने चाहिए.

क्या हुआ सुनवाई में

इस मामले में हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को फटकार लगायी और कहा कि, ‘आप स्पेशल नहीं हैं. एक नेशनल पॉलिसी है और अगर देश की दूसरी 18 सेंट्रल यूनिवर्सिटी, प्रवेश देने के लिए सीयूईटी स्कोर पर भरोसा कर रही हैं तो डीयू ऐसा क्यों नहीं कर रहा.’ कोर्ट ने सेंट्रल गवर्नमेंट काउंसिल को इस मामले में जवाब देने के लिए कुछ वक्त दिया है.

अब कब होगी हियरिंग

डीयू ने भी कोर्ट में इस बात की स्वीकृति दी कि जब तक इस मुद्दे पर फैसला नहीं आ जाता, तब तक डीयू में लॉ कोर्स में एडमिशन पेंडिंग ही रहेंगे. कोर्ट की अगली सुनवाई 25 अगस्त के दिन होनी है. ये पीआईए डीयू की लॉ फैकल्ट के स्टूडेंट प्रिंस सिंह ने फाइल की है. इनका कहना है कि यूनिवर्सिटी को एडमिशन के लिए सीयूईटी स्कोर को ही कंसीडर करना चाहिए.

क्या पक्ष है याचिकाकर्ता का

पिटीशन में कहा गया है कि जब यूजीसी ने साफ किया है कि यूजी कोर्स में एडमिशन सीयूईटी के स्कोर के आधार पर होंगे तो डीयू के पांच साल के लॉ कोर्स में एडमिशन का आधार क्लैट स्कोर को क्यों बनाया जा रहा है. क्लैट केवल इंग्लिश में आयोजित होता है जबकि सीयूईटी 13 भाषाओं में. ऐसे में कैंडिडेट्स के लिए क्लैट क्लियर करना ज्यादा मुश्किल हो जाता है. ये लॉ के छात्रों के साथ भेदभाव है. 

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