Demolishing Houses With Bulldozers Has Now Become A Fashion Madhya Pradesh High Court – घरों को बुलडोजर से ध्वस्त करना अब फैशन बन गया है : उज्जैन में हुई कार्रवाई पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

[ad_1]

1fdobhe8 mp bulldozer action Demolishing Houses With Bulldozers Has Now Become A Fashion Madhya Pradesh High Court - घरों को बुलडोजर से ध्वस्त करना अब फैशन बन गया है : उज्जैन में हुई कार्रवाई पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

भोपाल:

आपराधिक मामलों में आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि सिविल अथॉरिटी के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना घरों को ध्वस्त करना ‘फैशन’ बन गया है. उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने इस महीने की शुरुआत में राहुल लांगरी के घर को ध्वस्त करने से संबंधित एक मामले में ये टिप्पणियां की, जिस पर संपत्ति की जबरन वसूली के लिए जानबूझकर चोट पहुंचाने का मामला चल रहा है.

यह भी पढ़ें

राहुल लांगरी पर एक व्यक्ति को धमकी देने और उस पर हमला करने का आरोप है, जिसके बाद उस व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली. लांगरी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. पुलिस ने बाद में नगर निकाय से संपर्क किया और उज्जैन में उसके दो मंजिला घर को ढहा दिया गया.

लांगरी की पत्नी राधा ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. अपनी याचिका में उसने कहा कि पिछले मालिक रायसा बी के नाम पर एक नोटिस दिया गया था और अगले ही दिन उनकी बात सुने बिना घर को तोड़ दिया गया. उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि घर अवैध नहीं था. उन्होंने कहा कि घर हाउसिंग बोर्ड में पंजीकृत था और उन्होंने बैंक से ऋण लिया था.

न्यायमूर्ति विवेक रूसिया ने फैसला सुनाया कि विध्वंस अवैध था और राधा लांगरी और उनकी सास विमला गुर्जर को ₹1-1 लाख का मुआवजा दिया जाए. अदालत ने विध्वंस करने के लिए सिविल अथॉरिटी के खिलाफ भी कार्रवाई का आदेश दिया. याचिकाकर्ताओं ने अब अधिक मुआवजे के लिए सिविल कोर्ट जाने का फैसला किया है.

अदालत ने कहा, “जैसा कि इस अदालत ने बार-बार देखा है, स्थानीय प्रशासन और स्थानीय निकायों के लिए न्याय के सिद्धांत का पालन किए बिना कार्रवाई तैयार करके, किसी भी घर को ध्वस्त करना और उसे अखबार में प्रकाशित करना अब फैशन बन गया है. ऐसा प्रतीत होता है कि इस मामले में भी याचिकाकर्ताओं के परिवार के सदस्यों में से एक के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया और विध्वंस गतिविधियों को अंजाम दिया गया.”

अदालत ने कहा कि घरों को तोड़ने के बजाय याचिकाकर्ताओं को निर्माण को नियमित कराने के लिए कहा जाना चाहिए था. इसमें कहा गया है कि घर के मालिक को इसे नियमित कराने का उचित अवसर देने के बाद ही तोड़फोड़ आखिरी रास्ता होना चाहिए.

याचिकाकर्ता राधा लांगरी ने आरोप लगाया कि उनके पति को झूठे आरोपों में जेल भेजा गया और उनका घर ध्वस्त कर दिया गया. उन्होंने कहा, “उन्होंने एक दिन का नोटिस दिया और फिर हमारा घर तोड़ दिया. हमने उन्हें संपत्ति के कागजात दिखाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने नहीं सुनी. अब हमें न्याय मिल गया है.” उन्होंने कहा कि अपराध एक व्यक्ति द्वारा किया जाता है, परिवार द्वारा नहीं. बुलडोजर की कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए.

याचिकाकर्ता वकील तहजीब खान ने कहा, “अगर कोई अपराधी किसी घर में रहता है, तो इसका मतलब ये नहीं है कि उस घर का हर व्यक्ति अपराधी है. उसके घर को ढहाने से निर्दोषों को भी सजा मिलेगी.”

[ad_2]

Source link

x