Devendra Fadnavis Had Said This About Sharad Pawar Days Before NCP Split – NCP टूटने से कुछ दिन पहले ही देवेन्द्र फडणवीस ने शरद पवार को लेकर कही थी ये बात
एएनआई संपादक स्मिता प्रकाश के साथ एक इंटरव्यू में, जो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में संकट से पहले 29 जून को रिकॉर्ड किया गया था, फडणवीस ने वंशवाद की राजनीति पर हमला किया था और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय राजनीति में इसके प्रभाव को कम कर दिया है.
देशभर के विपक्षी दलों की बढ़ती नजदीकियों पर फडणवीस ने कहा था कि शरद पवार ने विपक्षी दलों को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा, “विपक्षी दलों को एक साथ लाने वाले व्यक्ति पवार साहब हैं. जो पार्टियां एक-दूसरे को आमने-सामने नहीं देख सकती थीं, उन दलों को एक साथ लाने के पीछे की शक्ति भी पवार साहब हैं. विपक्षी एकता के संचालक भी पवार साहब ही हैं.”
बीजेपी नेता ने कहा, “उनके स्वास्थ्य को लेकर कुछ दिक्कतें हैं, लेकिन वह फिट हैं. शरद पवार अब जगह-जगह दौरा कर रहे हैं. वह राजनीतिक रूप से पूरी तरह से सतर्क हैं. उनकी गिनती उन राजनेताओं में होती है, जो हर तरफ की राजनीति जानते हैं. वह निश्चित रूप से अन्य परिवारों की तरह अपनी पार्टी की विरासत को स्थानांतरित करना चाहते हैं. अपनी विरासत को स्थानांतरित करने के लिए उन्होंने सुप्रिया जी को सबसे आगे रखा है.”
श्री फड़नवीस ने कहा कि शरद पवार राजनीतिक रूप से सक्रिय रहेंगे क्योंकि वह राकांपा प्रमुख बने रहेंगे।
उन्होंने कहा, “अगर उन्हें बैकसीट पर बैठना होता, तो उन्होंने सुप्रिया सुले को पार्टी अध्यक्ष बना दिया होता, लेकिन उन्होंने उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है. उन्होंने अपनी विरासत को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन अभी ड्राइविंग सीट पर बैठने वाले व्यक्ति शरद पवार ही हैं.” शरद पवार ने जून में सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया.
महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता रह चुके एनसीपी नेता अजित पवार रविवार को उपमुख्यमंत्री के तौर पर महाराष्ट्र की भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए, जिससे उनकी पार्टी में फूट पड़ गई. एनसीपी में संकट का असर महाराष्ट्र के भीतर और राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ रहा है.
फडणवीस ने कहा कि वंशवाद की राजनीति है, लेकिन लोगों को उनकी क्षमताओं के आधार पर पदोन्नत किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “हम किसी राजनेता की बेटी और बेटे के राजनेता बनने के विरोध में नहीं हैं. हम जो कहना चाह रहे हैं वह यह है कि किसी व्यक्ति को सिर्फ इसलिए ऊंचे पद पर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि वह किसी विशेष राजनेता का बेटा है. यदि वह अयोग्य है या व्यक्ति के पास समझ या क्षमता नहीं है, तो उसे उच्च पद पर पदोन्नत किया जाता है, तो हम इसके विरोधी है. हम इस तरह की वंशवादी राजनीति के खिलाफ हैं, यह गलत है.”
उन्होंने कहा, “वंशवाद की राजनीति का परिणाम यह होता है कि सरकार लोगों की नहीं, बल्कि एक परिवार की सेवा करती है. लेकिन मोदी जी के सत्ता में आने के बाद इस तरह की राजनीति कम हो गई है. इसके बाद, एकमात्र वंशवाद ही टिकेगा, जो लोगों की सेवा करेगा.”
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