Dignity Of Democracy Is Reduced By Creating Ruckus In The Parliament, Assemblies In A Planned Manner: Om Birla – संसद, विधानसभाओं में सुनियोजित तरीके से हंगामा करने से लोकतंत्र की गरिमा होती है कम : ओम बिरला
मुम्बई में वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में आयोजित पहले राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए बिरला ने कहा कि विधायी निकायों के कामकाज को गरिमापूर्ण तरीके से संचालित किया जाना चाहिए.
उन्होंने सदनों में हंगामे और व्यवधान की घटनाओं को चिंता का विषय बताया और कहा, ‘‘ सुनियोजित तरीके से हंगामा करना, नारेबाजी और सदन को स्थगित करना हमारे लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है जिससे लोकतंत्र की गरिमा कम होती है.”
लोकसभा सचिवालय के बयान के अनुसार, बिरला ने कहा कि सर्वोच्च जनप्रतिनिधि संस्था होने के नाते, विधानमंडलों से अपेक्षा की जाती है कि वे देश के अन्य संस्थानों और संगठनों के लिए एक आदर्श के रूप में कार्य करें.
आधुनिक लोकतंत्र के संदर्भ में विधायकों की भूमिका का जिक्र करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे न केवल चर्चा और संवाद के माध्यम से समस्याओं का समाधान करें, बल्कि यह भी सुनिश्चित करें कि इस तरह की चर्चा उत्पादक हो और इससे वांछित उद्देश्यों की प्राप्ति हो.
बिरला ने आगे कहा कि लोकतंत्र नैतिक व्यवस्था है और इसलिए विधायकों के लिए यह आवश्यक है कि वे कमियों का आत्म-विश्लेषण करें और भविष्य की चुनौतियों का समाधान खोजें.
उन्होंने कहा, ‘‘ यदि चर्चा और संवाद से समस्याओं का समाधान नहीं निकलता है तो बाहरी हस्तक्षेप होगा, जो लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। इसलिए नीतियों और मुद्दों पर व्यापक चर्चा और बहस होनी चाहिए जिससे हमारे विधानमंडल अधिक प्रभावी बनेंगे.”
बिरला ने कहा कि विधायकों से अपेक्षा की जाती है कि वे संविधान द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता, समानता, न्याय आदि के आदर्शों को बनाए रखेंगे.
सम्मेलन में पूर्व लोकसभा अध्यक्षों शिवराज पाटिल, मीरा कुमार और सुमित्रा महाजन ने भी भाग लिया. उन्होंने बिरला की चिंताओं को साझा किया.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने राज्य विधानसभाओं की बैठकों की संख्या बढ़ाने और उन्हें लोगों के प्रति अधिक जवाबदेह बनाने की जरूरत पर बल दिया. ज्ञात हो कि तीन दिवसीय इस सम्मेलन में देशभर से करीब 2,000 जन प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं.
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