दिनकर स्मृतिभ्रंश के विरुद्ध प्रमाणिक दस्तावेज के कवि हैं- प्रो. चन्दन कुमार

गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय, गांधीनगर के हिंदी अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित एक दिवसीय ई-संगोष्ठी में ‘राष्ट्रीय चेतना और दिनकर’ विषय पर आज गुरुवर प्रो. चन्दन कुमार ने अपना वक्तव्य दिया।
प्रो. चन्दन ने कहा कि दिनकर हिंदी जन के कवि हैं। उन्हें कवि विभागों और संगठनों ने नहीं बनाया। व्यापक मार्क्सवादी अनिच्छा के बावजूद वे हिंदी के बड़े कवि हैं। हिंदी साहित्य के इतिहास में ऐसे कम उदाहरण मौजूद हैं जब रचनात्मक सफलता और सामाजिक सफलता किसी कवि को एक साथ प्राप्त हों।
उन्होंने कहा कि दिनकर देश के स्वाभिमान, स्वत्व और आत्मगौरव के कवि हैं। वे सत्ता के प्रति निर्मोही और देश के प्रति राग रखने वाले कवि हैं। राष्ट्रभाषा के परिप्रेक्ष्य में दिनकर के विचारों पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि दिनकर ने राज्यसभा में एक बार कहा था कि ‘मैं इस सभा और नेहरू से कहना चाहता हूं कि हिंदी की निंदा ना की जाए, इससे देश की आत्मा को ठेस पहुंचती है।’

FB IMG 1597313438512 दिनकर स्मृतिभ्रंश के विरुद्ध प्रमाणिक दस्तावेज के कवि हैं- प्रो. चन्दन कुमार

प्रो. चंदन ने अपने वक्तव्य में आगे कहा कि दिनकर स्मृतिभ्रंश के विरुद्ध प्रमाणिक दस्तावेज के कवि हैं। भारतीय समाज के दोषों का परिहार करने की रचनात्मक कोशिश दिनकर के साहित्य में हमें बखूबी दिखलाई पड़ती है। उन्होंने ‘रश्मिरथी’ की शुरुआती पंक्तियों का पाठ करते हुए स्वतंत्र भारत के परिदृश्य पर प्रकाश डाला। उनका कहना था कि भूषण के बाद दिनकर की कविताओं में शौर्य की सर्वाधिक अभिव्यक्ति हमें दिखाई पड़ती है। ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ नामक काव्य संग्रह का जिक्र करते हुए उन्होंने कवि की दृष्टि में नए भारत के भाग्यपुरुष पर बातें कीं। कवि की दृष्टि में नये भारत का भाग्यपुरुष परशुराम के स्वरूप में स्वदेश रक्षक की भूमिका निभाएगा।
अंत में उन्होंने कहा कि रचनात्मकता की प्राथमिक शर्त यही है कि वह वैयक्तिक स्वार्थों से ऊपर उठकर राष्ट्रप्रेम को अभिव्यक्त करे।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. रमाशंकर दुबे ने की। संगोष्ठी में बीज वक्तव्य प्रो. सदानंद गुप्त ने दिया। विषय प्रवर्तन एवं स्वागत वक्तव्य प्रो. आलोक गुप्त ने दिया। कार्यक्रम का संयोजन और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रमोद कुमार तिवारी ने किया।

साभार आदित्य कुमार मिश्र

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