Diwali 2024: कभी ऐपण बनाने में बीत जाता था दिन, आज झट से चिपका देते हैं प्लास्टिक स्टीकर


अल्मोड़ा. दिवाली (Diwali 2024) का त्योहार नजदीक है. उत्तराखंड में 1 नवंबर को दीपोत्सव मनाया जाएगा. किसी समय में कुमाऊं मंडल में उत्तराखंड की लोककला ऐपण को खुद अपने हाथों से बनाने का चलन था लेकिन आधुनिकता के दौर में हाथों से की जाने वाली कई दिनों की मेहनत अब रेडीमेड मिलने लगी है. हम बात कर रहे हैं दिवाली के समय मिलने वाले ऐपण के प्लास्टिक स्टीकर की. आज लोग घर में मंदिर, दहलीज व अन्य जगहों पर ऐपण बनाने में समय व्यर्थ नहीं करना चाहते, लिहाजा बाजार जाकर रेडीमेड ऐपण स्टीकर ले आते हैं.

दरअसल कुमाऊं में किसी भी शुभ कार्य में घर में ऐपण बनाने की रवायत सदियों पुरानी है. तीज-त्योहार भी इन्हीं शुभ कार्यों का हिस्सा हैं, खासकर दिवाली. किसी समय पर लोग गेरू और बिस्वार से घरों में ऐपण बनाते थे. बाद में ऐपण बनाने में इस्तेमाल होने वाले गेरू-बिस्वार की जगह लाल और सफेद रंग के पेंट ने ले ली. पेंट से मंदिर-दहलीज पर ऐपण बनाए जाने लगे, मां लक्ष्मी के पगचिह्न बनाए जाने लगे. इसके बाद बाजार में आते हैं ऐपण वाले स्टीकर, जो लोगों को समय बचाने का आसान उपाय लगते हैं और फिर लगभग हर घर में इनका इस्तेमाल होने लगता है.

समय बचाने के लिए चिपका रहे स्टीकर
अल्मोड़ा निवासी संगीता वर्मा ने लोकल 18 से कहा कि पहले के समय में लोग गेरू और बिस्वार से ऐपण बनाया करते थे, फिर धीरे-धीरे लाल और सफेद पेंट से लोग इन्हें बनाने लगे. अब तो लोग अपना समय बचाने के लिए स्टीकर चिपका रहे हैं. संगीता का मानना है कि बुजुर्गों से मिली विरासत को हमें बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि हमारी संस्कृति इससे जुड़ी हुई है. अगर हम लोग इसको बढ़ावा नहीं देंगे, तो हमारी आने वाली पीढ़ी इसके बारे में नहीं जान सकेगी. यही वजह है कि वह इसपर लगातार काम कर रही हैं. युवाओं को प्रेरित करती हैं और तीज-त्योहारों में वह अपने घर में ऐपण के स्टीकर चिपकाने के बजाय खुद बनाती हैं. संगीता ने कहा कि गेरू लगाकर बिस्वार से तुरंत लिख दिया जाता है, पर लाल पेंट को लगाने के बाद पूरा एक दिन सूखने के लिए रुकना पड़ता है. इसके बाद इसपर सफेद पेंट से डिजाइन बनाए जाते हैं, जिसमें पूरा एक दिन लगता है, पर स्टीकर चिपकाने में कोई ज्यादा समय नहीं लगता.

10 रुपये से 50 रुपये तक ऐपण स्टीकर
स्थानीय दुकानदार पंकज बिष्ट ने कहा कि पहले के मुकाबले आज काफी कुछ बदल गया है. लोग अपना समय बचाने के लिए अब स्टीकर वाले ऐपण का प्रयोग कर रहे हैं, इसलिए इनकी डिमांड भी है. दीपावली के समय ऐपण के मंदिर-दहलीज स्टीकर और मां लक्ष्मी के पगचिह्नों की सबसे ज्यादा बिक्री होती है. स्टीकर की कीमत ₹10 से लेकर ₹50 तक है. मां लक्ष्मी के पगचिह्नों के स्टीकर का सेट 10 रुपये का मिल जाता है.

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