Does a Hindu girl have to change her religion after marrying a Muslim boy Know what the rules say
भारत में सभी धर्मों के लोग रहते हैं. आज के वक्त कई कपल इंटरकास्ट मैरिज भी कर रहे हैं. ऐसे में सवाल ये है कि क्या मुस्लिम लड़के से अगर कोई हिंदू लड़की शादी करती है, तो क्या उसे धर्म बदलना पड़ता है. आज हम आपको बताएंगे कि शादी को लेकर क्या नियम है. क्या मुस्लिम लड़के से शादी करने के बाद हिंदू लड़की को धर्म बदलना जरूरी होता है.
इंटरकास्ट मैरिज
बता दें कि हिंदू मैरिज एक्ट और मुस्लिम मैरिज एक्ट के तहत वर तथा वधु पक्षों का धर्म एक ही होना जरूरी है. जानकारी के मुताबिक लड़का और लड़की दोनों का धर्म अलग है, तो पर्सनल लॉ उन्हें शादी करने की इजाजत नहीं देता है. वहीं अगर फिर भी वो कपल शादी करना चाहता है, तो दोनों में एक को अपना धर्म छोड़कर दूसरे धर्म अपनाना होगा. आसान शब्दों में समझिए कि अगर कोई हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़का मुस्लिम मैरिज एक्ट के जरिये आपस में शादी करना चाहते हैं, तो हिंदू को मुस्लिम धर्म अपनाना ही होगा. वहीं अगर दोनों हिंदू मैरिज एक्ट के जरिये शादी करना चाहते हैं, तो मुस्लिम को हिंदू बनना पड़ेगा.
स्पेशल मैरिज एक्ट
बता दें कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत एक कपल बिना धर्म बदले शादी कर सकता है. इस शादी के लिए दोनों में से किसी की भी पहले से शादी नहीं हुई होनी चाहिए. वहीं शादी होने की स्थिति में तलाक हुआ होना चाहिए. इसके अलावा अगर दोनों में कोई भी पक्ष मानसिक तौर पर शादी के लिए सहमति देने में अक्षम है, तो स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह नहीं हो सकता है. वहीं दोनों की उम्र कानून के मुताबिक तय सीमा से ज्यादा होनी चाहिए. हालांकि स्पेशल मैरेज एक्ट के तहत आवदेन के बाद मैरेज ऑफिसर 30 दिनों के लिए एक नोटिस जारी करता है. इस अवधि में कोई भी व्यक्ति यह कहते हुए आपत्ति दर्ज करा सकता है कि यह जोड़ा, विवाह पंजीकृत कराने के लिए आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं करता है. ऐसी स्थिति में विवाह का पंजीयन नहीं होता है.
क्या है ताजा मामला
दरअसल मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मुस्लिम युवक और हिंदू लड़की की शादी से जुड़े मामले में एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट में दोनों की ओर से शादी के आवेदन और धर्म परिवर्तन किए बिना शादी को रजिस्टर करने और पुलिस सुरक्षा देने की मांग की गई थी. इस पर हाई कोर्ट के जस्टिस जी एस अहलुवालिया की सिंगल बेंच ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़के के निकाह के लिए धर्मांतरण करना जरूरी है, लेकिन इस मामले में लड़की ने धर्मांतरण नहीं किया है. इसलिए इस विवाह को वैध नहीं माना जा सकता है.
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