Does the death of people really reduce the burden on the earth Know the truth about this
आपने कई बार अपने बुजुर्गों या आस-पास के लोगों को ये कहते हुए सुना होगा कि मरने से धरती का बोझ कम होता है. अब सवाल ये है कि क्या सच में इंसानों के मरने से धरती का बोझ कम होता है. आज हम आपको बताएंगे कि मरने से धरती का बोझ कम होता है या नहीं होता है. आखिर लोग ये लाइन क्यों बोलते हैं.
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धरती पर जनसंख्या
धरती पर इंसानों की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अभी धरती पर आखिर कितने करोड़ लोग रहते हैं. आज हम आपको पहले ये बताएंगे कि आखिर धरती पर इंसानों की जनसंख्या कितनी है. बता दें कि वर्तमान में दुनिया की आबादी 800 करोड़ से ज्यादा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक आने वाले 20 सालों में ये संख्या 900 करोड़ पार कर जाएगी.
कितना है धरती का वजन
अब सवाल ये है कि धरती का वजन कितना है? धरती का वजन कितना है, इसको लेकर वैज्ञानिकों के दावे अलग-अलग हैं. दरअसल धरती का वजन उसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति की ताकत पर निर्भर करता है. आसान भाषा में कहे तो धरती का वजन लाखों करोड़ों किलोग्राम होता है. वहीं नासा के मुताबिक धरती का वजन 5.9722×1024 किलोग्राम है. इसे 13.1 सेप्टिलियन पाउंड में भी नापते हैं. धरती का वजन थोड़ा कम-ज्यादा होता रहता है.
इंसानों के मरने से धरती पर बोझ होता है कम?
आपने कई बार लोगों को ये कहते हुए सुना होगा कि मरने से धरती का बोझ कम होता है. या कुछ लोग ये कहते हैं कि ये इंसान धरती पर बोझ है. लेकिन साइंस के मुताबिक ये लाइन सिर्फ आम बोलचाल की भाषा तक ही ठीक है. दरअसल लोगों के मरने या पैदा होने से धरती के बोझ पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता है. धरती का जो वजन है, वो गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण कम और अधिक होता रहता है. इसका मौत से कोई भी कनेक्शन नहीं है.
सौ सालों में बढ़ी आबादी
वैज्ञानिकों के मुताबिक पहले धरती पर आबादी ज्यादा नहीं थी. पहले धरती पर इंसानों की आबादी बहुत कम थी. वैज्ञानिकों के मुताबिक दस हज़ार साल पहले तक धरती पर महज़ कुछ लाख इंसान थे. वहीं अठारहवीं सदी के अंत में आकर धरती की आबादी ने सौ करोड़ का आंकड़ा छुआ था. वहीं 1920 में जाकर धरती पर दो सौ करोड़ लोग हुए थे.
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