Dr mahesh diwakar wrote 157 hindi literature book – News18 हिंदी


पीयूष शर्मा/ मुरादाबाद : यूपी का मुरादाबाद वैसे तो दुनिया में पीतल नगरी के नाम से मशहूर है. लेकिन मुरादाबाद की पहचान सिर्फ पीतल से नहीं है. यहां कई ऐसे बड़े लेखक, कवि और नेता निकले जिन्होंने देश विदेश में मुरादाबाद का नाम रौशन किया है. आज ऐसे ही मुरादाबाद के एक कवि और लेखक के बारे में बताएंगे. जिनके वजह से मुरादाबाद को पीतल के इतर भी पहचान मिल रही है. हम बात कर रहे हैं.    साहित्यकार डॉक्टर महेश दिवाकर कि जिनकी 75 से ज्यादा पुस्तके प्रकाशित हो चुकी है.  जो अपने उत्कर्ष कार्य की वजह से दर्जनों मेडल पा चुके हैं कई बार राज्य सरकार से सम्मानित भी हुए है.

लेखक और कवि हैं महेश दिवाकर
डॉ. महेश दिवाकर हिन्दी के उन्नयन एवं संवर्धन के लिए पूर्णतया समर्पित हैं. एक आदर्श शिक्षक के साथ-साथ वे एक लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकार भी हैं. वे अपने आप में एक सांस्कृतिक संस्था हैं. देश-विदेश की अनेकों सरकारी गैर-सरकारी साहित्यिक संस्थाओं के सदस्य, संरक्षक एवं आजीवन सदस्य के रूप में उनका कार्य हिन्दी के प्रचार-प्रसार से सीधे जुड़ा है. वे एक समर्थ लेखक एवं कवि हैं. जिन्होंने हिन्दी की विविध विधाओं में अनेक कृतियों की रचना की है. उनकी मौलिक कृतियों में दो शोध ग्रन्थ शामिल हैं. दस समीक्षा-शोधपरक ग्रन्थ, दो साक्षात्कार ग्रंथ, दो नयी कविता संग्रह, दो गीत संग्रह, आठ मुक्तक एवं गीति-संग्रह, सात खण्ड काव्य, तेरह यात्रा-वृत्तात, दो संस्मरण एवं रेखाचित्र संग्रह उल्लेखनीय है. इनकी सम्पादित कृतियों में दस अभिनन्दन ग्रंथ, दो स्मृति ग्रंथ, छः सन्दर्भ कोश, बीस काव्य संकलन (विविध विधाशः), तीन विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम-संकलन, तीन साहित्यकार विशेष संकलन, ग्यारह वृहद-ग्रंथ संकलन शामिल है. साहित्य लोकधारा नाम से ग्यारह खंडों में विश्व पुस्तक प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हैं. इसके प्रथम पांच खंड प्रकाशित हो चुके हैं. शेष प्रकाशन प्रक्रिया में हैं.

अब तक हिंदी को दी 157 कृतियां
महेश दिवाकर ने बताया कि वह सेवा निवृत हिंदी के आचार्य हैं. इसके साथ ही इनके हिंदी साहित्य में 157 कृतियां है. जो सब छपी हुई हैं. जिसे उन्होंने वितरित किया है. इनका सबसे खास बात यह है कि इन्होंने कोई किताब बेची नहीं है.  यह किताब वह अपनी जानकारी और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त में मुहैया कराते हैं. उन्होंने बताया कि अब तक वह 157 किताब हिंदी में लिख चुके हैं.  जिसमें 75 उनकी मौलिक कृतियां हैं. उन्होंने बताया कि उनकी पुस्तकों में न्याय के विरुद्ध लिखना, भ्रष्टाचार के विरुद्ध लिखना वर्तमान स्थिति के बारे में लिखना लोगों को अवेयर करना सहित आदि चीज शामिल हैं. उन्होंने बताया कि उनका प्रयास है कि व्यक्तिगत प्रभाव द्वारा सामूहिक प्रभाव द्वारा हिंदी का सृजन हो और हिंदी आगे बढ़े और हिंदी देश की राष्ट्रभाषा बनें.

देश विदेश से मिल चुके हैं अवार्ड
आगे उन्होंने कहा कि वैसे तो उन्हें दर्जनभर अवार्ड मिल चुके हैं. लेकिन अधिकृत रूप से उन्हें देश-विदेश से जो अवार्ड मिले हैं उसमें  2021 में साहित्य भूषण सम्मान उत्तर प्रदेश सरकार से मिला और 2 लाख रुपए नगद पुरस्कार मिला था. ये रुपया इन्होंने राम मंदिर के निर्माण के लिए भेंट कर दिया है. इसके अलावा अन्य कई जगह से उन्हे काफी संख्या में अवार्ड मिल चुके हैं और यह अवार्ड मिलने का सिलसिला अभी जारी है.

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