Drawback In Nitish Kumar Opposition Meeting In Patna No Grand Alliance Possibility
Opposition Meet In Patna: 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बड़ी बैठक होने जा रही है, जिसमें मोदी विरोधी खेमा जुटने जा रहा है. बैठक में 2024 के चुनाव में बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए सिंगल प्वॉइंट एजेंडा सेट करने का प्रयास होगा लेकिन विपक्षी दलों का आपसी टकराव बता रहा है कि ये राह आसान नहीं है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नीतीश कुमार ने 23 जून को विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है. ये बैठक बड़ी है. इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, अखिलेश यादव, फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत 15 पार्टियों के सबसे बड़े नेता शामिल होने वाले हैं.
नीतीश का प्लान संपूर्ण क्रांति पार्टी-2
इस बैठक में नीतीश की कोशिश करीब 50 साल पहले जेपी के नेतृत्व में हुई संपूर्ण क्रांति का पार्ट-2 शुरू करने की है लेकिन सवाल है कि क्या उनकी ये मुराद पूरी हो पाएगा और पार्टियों का आपसी विवाद इसमें रोड़ा नहीं अटकाएगा. अब टीएमसी और कांग्रेस को ही देख लीजिए. पश्चिम बंगाल में दोनों एक दूसरे पर हमला बोल रहे हैं और पंचायत चुनाव के दौरान एक दूसरे पर हिंसा का आरोप लगा रहे हैं.
विपक्षी दल भुला पाएंगे आपसी तल्खी
सवाल है कि जब राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के साथ बैठेंगे तो दोनों के लिए इसे भुलाना आसान होगा. इसके साथ ही बैठक में शामिल होने आ रहे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से भी कांग्रेस की नहीं बन रही हैं. आम आदमी पार्टी नेता ने दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र के अध्यादेश के मसले पर कांग्रेस से समर्थन मांगा था लेकिन कांग्रेस चुप्पी साध गई. इसके साथ ही केजरीवाल कांग्रेस पर हमला करने का कोई मौका चूक नहीं रहे हैं. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और बीजेपी की वसुंधरा राजे के बीच भाई-बहन के रिश्ते वाला बयान इसका ताजा उदाहरण है.
महाराष्ट्र में भी सब ठीक नहीं
महाराष्ट्र में भी महाअघाड़ी गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर रस्साकशी को लेकर भी खबरें आने लगीं. शरद पवार ने हाल ही में साफ किया था कि सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर महाविकास आघाड़ी फिलहाल किसी ठोस परिणाम पर नहीं पहुंच सकी है.
नीतीश की विपक्षी एकता वाले प्लान में कांग्रेस, उद्धव और शरद पवार भी शामिल है. नीतीश की नजर महाविकास अघाड़ी के बड़े दलों पर हैं. वहीं, महाविकास अघाड़ी में औरंगजेब को लेकर भी सहमति नहीं है. अघाड़ी में शामिल वंचित बहुजन अघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर शनिवार (17 जून) को खुल्दाबाद गए तो औरंगजेब की कब्र पर फूल चढ़ा आए. इस पर एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने उद्धव से सवाल पूछना भी शुरू कर दिया है.
सवाल ये है कि 2024 की लड़ाई में ये विरोध पीछे छूट जाएगा या फिर मोदी के विरोध में ग्रैंड अलायंस का सपना सिर्फ सपना ही बनकर रह जाएगा.
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