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कोटा . मजबूत इरादे और संकल्प से ही सफलता मिलती है. यह जज्बा रेलवे के अधिकारी प्रवीण सिंह गहलोत का है. गहलोत ने एक्सीडेंट होने के बाद नी रिप्लेसमेंट कराया और उसके बाद साइकलिंग करना शुरू किया. आज वे 100 किलोमीटर तक साइकलिंग कर लेते हैं. उन्होंने एक दिन में 111 किलोमीटर साइकिल भी चलाई है.

नी रिप्लेसमेंट के 6 महीने बाद चलाई साइकिल
प्रवीण गहलोत ने बताया कि 4 नवंबर को 13 घंटे में  करीब 110.8 किलोमीटर साइकिल चलाई थी. कोटा से बड़गांव होते हुआ बूंदी, बूंदी टनल और वापसी में चित्तौड़गढ़ बाईपास होते हुए कोटा पहुंचे हैं. यह उनकी सबसे लंबी राइड है और नी रिप्लेसमेंट के बाद से काफी संतुष्ट हैं कि इस तरह से साइकलिंग कर पाते हैं. नी रिप्लेसमेंट को लेकर लोगों में यह धारणा यह है कि कोई एक्टिविटी नहीं कर सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं है. नी रिप्लेसमेंट के 6 महीने बाद उन्होंने साइकिल चलाने की शुरुआत की.

घुटने की समस्या को लेकर थी परेशानी
प्रवीण सिंह ने बताया कि साल 1992 में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स में सब इंस्पेक्टर के रूप में तैनात हुए थे. अहमदाबाद, मुंबई, जबलपुर, कोटा, नंदुबार, रामगंजमंडी व शामगढ़ सहित कई जगह पर उनकी पोस्टिंग रही है. इसके बाद मध्य प्रदेश में पोस्टिंग के दौरान उनका 2008 में एक्सीडेंट हो गया था. 2011 में  उनका दुबारा एक्सीडेंट हो गया था, जिसके बाद से वे घुटने की परेशानी से जूझने लग गए थे. साल 2021 में सितंबर महीने में उन्होंने कोटा में ही डॉ. विश्वास शर्मा से घुटने का जोड़ प्रत्यारोपण करवा लिया. इसके 6 माह बाद 2022 से ही उन्होंने साइकलिंग शुरू की.

जॉब प्रोफाइल में हुआ बदलाव
प्रवीण सिंह ने बताया कि आरपीएफ में इंस्पेक्टर की नौकरी कर रहे थे. नी रिप्लेसमेंट के बाद मेडिकल ग्राउंड पर डी-कैटिगराइज्ड हो गया था. इसके बाद जॉब प्रोफाइल में बदलाव हुआ. अब वह मंडल रेल कार्यालय में ही वाणिज्य विभाग में चीफ ऑफिस सुपरिटेंडेंट के पद पर कार्यरत हैं. वह 11 से 14 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से साइकिल चला रहे हैं. इसके लिए उन्होंने काफी प्रैक्टिस की. वे बिना गियर वाली साइकिल को ही चलाते हैं. हालांकि, ऊंचाई पर चढ़ने पर काफी जोर लगाना पड़ता है.

10 से 12 साल के बच्चे भी कर रहे साइकलिंग
प्रवीण गहलोत ने बताया कि शुरुआत में 3 से 4 किलोमीटर  साइकिल चलाई थी. बाद में इसे बढ़ाते हुए पहले 10 फिर 15 किमी किया. धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 25 से 30 और 50 किलोमीटर तक की दूरी तय की. इसके बाद कोटा फंड राइडर्स ग्रुप से जुड़ गया. इसके कोऑर्डिनेटर अक्षय पारीक, ठाकुर रघुराज सिंह हाड़ा, गोपाल बाथम और इंजीनियरिंग कॉलेज के रिटायर प्रो. रोहिताश श्रृंगी की प्रेरणा से लगातार बढ़ता रहा. ये सभी करीब 60 से 70 साल के हैं. इस ग्रुप में 10 से 12 साल के बच्चे भी साइकलिंग कर रहे हैं.

रिप्लेसमेंट के बाद रहें एक्टिव 
गहलोत का कहना है कि आमतौर पर शनिवार-रविवार या फिर बीच में कोई छुट्टी आने पर साइकिल चलाने निकल जाते हैं. घुटने के रिप्लेसमेंट के बाद आदमी को एक्टिविटी करनी ही चाहिए. शरीर है तो उसे चलाना जरूरी है, शरीर को निढ़ाल कर देने पर रिप्लेसमेंट हम पर भारी पड़ सकता है. शरीर में कुदरती चीज बदल जाती है. डॉक्टर ने भी सलाह दिया है कि पैदल चलें या फिर साइकलिंग करें. मैंने साइकलिंग में ही ज्यादा रुचि दिखाई, जिससे बाद सब कुछ ठीक हो गया.

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