DU Convocation: के दीक्षांत समारोह में नई शिक्षा नीति को लेकर निशंक बोले- अब पैकेज नहीं, पेटेंट की दौड़

DU Convocation: एक समय पैकेज की होड़ थी, लेकिन अब पेटेंट की होड़ है। आप जिस दिन पेटेंट की होड़ में लगेंगे, एक बार फिर दुनिया आपके पीछे आकर खड़ी होगी, ऐसा मेरा मानना है। यह बातें रमेश पोखरियाल निशंक ने दिल्ली विश्वविद्यालय के 97वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि कहीं।

निशंक ने कहा कि आप अगर डिग्री लेकर आज रहे हैं तो शोध व अनुसंधान के क्षेत्र में आगे आइए। हम दुनिया के शीर्ष 129 विश्वविद्यालयों के साथ शोध व अनुसंधान कर रहे हैं। स्टडी इन इंडिया के तहत दुनिया के 50 हजार से ज्यादा नामांकन हो चुके हैं।

निशंक ने कहा कि, नई शिक्षा नीति के तहत जह चाहे आओ- जब चाहे जाओ, जिस विषय के साथ जो चाहे पढ़ो। अगर पढ़ाई छोड़कर जाना पड़ रहा है, तब भी आपको हताश होने की जरूरत नहीं है। आपको उसके अनुरूप प्रमाणपत्र- डिप्लोमा मिलेगा। चाहें तो पढ़ाई बाद में भी कर सकते हैं। आप नौकरी पाने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले लोगों में रहेंगे। उन्होंने कहा कि 1922 में तीन कॉलेज और 750 छात्रों से डीयू का पौधा रोपित हुआ। आज 90 कॉलेज में छह लाख से ज्यादा छात्र हैं। डीयू के कार्यवाहक प्रो. पीसी जोशी ने संस्थान की उपलब्धियां प्रस्तुत कीं। आयोग के अध्यक्ष प्रो. पीके जोशी ने डीयू द्वारा पहली बार बड़े स्तर पर ओपन बुक परीक्षा कराने की सराहना की।

उन्होंने कहा कि डीयू ने अपने ब्रॉशर में 26 मार्च 1923 को हुए पहले दीक्षांत समारोह की तस्वीर भी जारी की। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने महर्षि कणाद के नाम पर रखे भवन का उद्घाटन भी किया।

एकेडमिक नॉलेज बैंक उपयोगी- केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम एकेडमिक नॉलेज बैंक बना रहे हैं। जहां पढ़ाई की पूरी संपदा मिलेगी, उसकी चाबी भी आपके पास होगी। जिस दिन आप चाबी खोलेंगे, जहां से पढ़ाई छोड़ी थी वहीं से आप शुरुआत कर सकेंगे।

निशंक ने कहा, डीयू के कुलपति का कार्यालय यहां पढ़ने वालों के लिए तीर्थ स्थल है। यहां एक स्थल पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भगत सिंह आदि को बंदी बनाकर रखा गया था।

59 साल की आयु में मिली डिग्री-

अरबिंदो कॉलेज में हिंदी के प्राध्यापक हंसराज सुमन को 59 साल की आयु में पीएचडी की डिग्री मिली है। उन्होंने न्यू मीडिया, हिंदी पत्रकारिता पर प्रौद्योगिकी परिवर्तन का प्रभाव विषय पर शोध कार्य किया है। उन्होंने बताया कि शोध कार्य करते हुए यह बराबर ध्यान रहा कि नव सूचना संचार प्रौद्योगिकी पर कानूनी नियंत्रण किस तरह से रहेगा, क्योंकि नई तकनीकी से पत्रकारिता करते समय कानून के उल्लघंम की संभावना हमेशा बनी रही है।

हर साल दो लाख करोड़ रुपए जा रहे विदेश-

दुनिया में भारत के 8 लाख छात्र पढ़ रहे हैं। देश का लगभग दो लाख करोड़ रुपए प्रति वर्ष विदेश जा रहे हैं। मेरे देश की प्रतिभा और पैसा देश के काम नहीं आ रहा है, आखिर क्यों। अपने देश के आईआईटी से निकलने वाला छात्र दुनियाभर में छाए हैं। यदि अमेरिका में बेहतर शिक्षा थी को भारत के छात्र माइक्रोसॉफ्ट गूगल में क्यों छाए हैं।

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