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बीरभूम: पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के इंटाला मोर क्षेत्र में, मारग्राम थाना के अंतर्गत, बत्तख और मुर्गी पालन ने ग्रामीणों के जीवन में बड़ा बदलाव लाया है. डॉक्टर महा कुदरत-ए-खुदा ग्रामीण विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास केंद्र की पहल पर शुरू हुई इस गतिविधि ने कई लोगों को आत्मनिर्भर बनने का मौका दिया है. बता दें कि बत्तख पालन एक ऐसा बिजनेस है, जो कम लागत में शुरू किया जा सकता है और इसमें मुनाफा भी अच्छा होता है.

खुले पानी की उपलब्धता से मिला बिजनेस को बढ़ावा
इस क्षेत्र में झीलों, तालाबों और नदियों में खुले पानी की अच्छी उपलब्धता के कारण बत्तख पालन एक व्यावसायिक गतिविधि बन चुकी है. यह न केवल यहां के लोगों के लिए आय का स्रोत बना है, बल्कि बेरोज़गार युवाओं के लिए भी रोजगार के अवसर लेकर आया है.

गांवों में बत्तख पालन
ग्रामीण इलाकों में बत्तख पालन कोई नई बात नहीं है. इसे घर पर रखना बेहद आसान और सस्ता है. बत्तखों के लिए विशेष आवास की जरूरत नहीं होती, और वे आसानी से जलीय स्थानों के आसपास जीवित रह सकते हैं. यही वजह है कि यहां के लोग इसे बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं.

बत्तख पालन के बहुआयामी फायदे
बत्तख पालन से कई फायदे हैं. एक ओर, इससे अच्छी खासी कमाई होती है, तो दूसरी ओर अंडे और मांस जैसे पोषणयुक्त उत्पाद भी मिलते हैं. बत्तख पालन के जरिए ग्रामीण इलाकों में पोषण स्तर को सुधारने में भी मदद मिल रही है.बता दें कि बत्तख पालन को मछली पालन के साथ जोड़ा जाए, तो सीमित जगह में भी अधिक उत्पादन संभव है. मछलियों को बत्तखों द्वारा छोड़ी गई जैविक सामग्री से पोषण मिलता है, जिससे उनकी वृद्धि तेज होती है.

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भविष्य के लिए संभावनाएं
बत्तख पालन ने ग्रामीण इलाकों के युवाओं और किसानों को आत्मनिर्भर बनने का एक नया जरिया दिया है. इस बिजनेस की सफलता दिखाती है कि कम लागत में भी बेहतर भविष्य की नींव रखी जा सकती है.

Tags: Local18, Special Project



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