Due To Electoral Bonds You Are Getting Trail Of Money Says PM Narendra Modi Everyone Will Regret It – देश को काले धन की तरफ धकेला, हर कोई पछताएगा…, PM ने कहा – चुनावी बॉन्ड स्कीम पर विपक्ष ने फैलाया झूठ



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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूज एजेंसी ANI को दिए खास इंटरव्यू में ये बातें कही. मोदी ने कहा कि 2014 के पहले भी चुनावों में खर्चा होता था. तब कौन-सा पैसा कहां से आया और किसने खर्च किया, इसकी जानकारी नहीं मिलती थी. कोई भी सिस्टम परफेक्ट नहीं होता. कमियों को सुधारा जा सकता है. 

इलेक्टोरल बॉन्ड्स सरकार का था शुद्ध विचार

मोदी ने कहा, “हमारे देश में लंबे समय से चर्चा चल रही है कि काले धन के जरिए चुनावों में एक खतरनाक खेल होता है. देश के चुनावों में काले धन का खेल खत्म हो, यह चर्चा लंबे समय से चल रही है.” प्रधानमंत्री ने कहा, “बेशक चुनाव में भारी मात्रा में पैसा खर्च होता है. मेरी पार्टी भी चुनाव में पैसे खर्च करती है. सभी पार्टियां और सभी उम्मीदवार पैसे खर्च करते हैं. पैसा चंदे के तौर पर लोगों से लेना पड़ता है. मैं चाहता था कि हम कुछ ऐसा करें, जिससे हमारा चुनाव में काले धन का इस्तेमाल न हो पाए. मेरे मन में एक शुद्ध विचार था. हम एक छोटा सा रास्ता ढूंढ रहे थे. हमने कभी यह दावा नहीं किया कि यह बिल्कुल सही रास्ता है.”

पीएम ने कहा, “जब संबंधित विधेयक पारित किया गया था, तब संसद में बहस हुई थी. आज जो लोग इलेक्टोरल बॉन्ड्स की आलोचना कर रहे हैं, उन्हीं लोगों ने तब इसका समर्थन किया था.”

काले धन को खत्म करने के लिए सरकार ने लिए फैसले

पीएम ने कहा, “काले धन से निपटने की कोशिशों के तहत मेरी सरकार ने 1000 और 2000 रुपये के करेंसी नोटों को बंद करने का फैसला लिया था. चुनाव के दौरान बड़ी मात्रा में ये नोट ले जाए गए. हमने ये कदम इसलिए उठाया, ताकि काला धन खत्म हो.” प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीतिक दलों को पहले 20000 रुपये तक कैश डोनेशन लेने की परमिशन थी. बाद में इसे बदलकर 2500 रुपये कर दिया, क्योंकि हम नहीं चाहते थे कि कैश बिजनेस जारी रहे.

पीएम मोदी ने कहा, “मैंने कभी नहीं कहा था कि सरकार के लिए गए फैसले में कोई कमी नहीं हो सकती है. इलेक्टोरल बॉन्ड्स स्कीम का मकसद चुनावों में काले धन पर अंकुश लगाना था. लेकिन विपक्ष इसे लेकर झूठे आरोप लगा रही है.” पीएम मोदी ने तर्क दिया कि जांच एजेंसियों की कार्रवाई के बाद पता चला कि जिन 16 कंपनियों ने डोनेशन दिया, उनमें से सिर्फ 37 पर्सेंट रकम BJP और 63 पर्सेंट BJP विरोधी विपक्षी दलों को मिला.

सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को खत्म की थी इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम

शुरू से ही विवादों में घिरी केंद्र सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को असंवैधानिक करार दिया था. इस स्कीम के तहत जनवरी 2018 और जनवरी 2024 के बीच 16,518 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए थे. इसमें से ज़्यादातर राशि राजनीतिक दलों को चुनावी फंडिंग के तौर पर दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने SBI से इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा मांगा था, चुनाव आयोग को उसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा गया था.

14 मार्च को चुनाव आयोग ने जारी किया डेटा

चुनाव आयोग ने 14 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर जारी किया, जिसके बाद पता लगा कि BJP सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टी है. 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक पार्टी को सबसे ज्यादा 6,060 करोड़ रुपये मिले हैं.

लिस्ट में दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस (1,609 करोड़) और तीसरे पर कांग्रेस पार्टी (1,421 करोड़) है. हालांकि, किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है, इसका लिस्ट में जिक्र नहीं किया गया है. चुनाव आयोग ने वेबसाइट पर 763 पेजों की दो लिस्ट अपलोड की हैं. एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी है.


 



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