Dussehra 2024 NT Rama Rao has played both Ram and Ravana role People built temples in his name in India


Dussehra 2024: पूरे देश में आज बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार दशहरा मनाया जा रहा है. हिंदू परंपरा के अनुसार, यह दिन उस शुभ अवसर का प्रतीक है जब भगवान राम ने लंका के असुर राजा रावण पर विजय हासिल की थी. रामायण की ये कहानी  स्क्रीन पर कई बार दोहराई गई है. कई अभिनेताओं ने भगवान राम और रावण का किरदार निभाकर खूब पॉपुलैरिटी भी बटोरी. लेकिन केवल एक ही ऐसा अभिनेता रहा है जिसने इस कहानी में नायक और खलनायक दोनों की भूमिका निभाई है, और इसे इतने आइकॉनिक अंदाज में निभाया है कि लोगों ने उनके नाम पर मंदिर बनवा डाले और भगवान मानकर उन्हें पूजने भी लगे.

किस एक्टर ने पर्दे पर निभाया है राम और रावण का किरदार?
ये एक्टर कोई और नहीं एनटी रामा राव हैं, जो भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े आइकन में से एक है.  सीनियर एनटीआर वह अभिनेता हैं जिन्होंने बड़े पर्दे पर भगवान राम और रावण दोनों का किरदार निभाकर इतिहास रच दिया था. उन्होंने एक से बढ़कर एक अभिनय किया और यहां तक ​​कि भगवान कृष्ण की भूमिका भी निभाई, उनके नाम 17 फिल्मों में भगवान कृष्ण का किरदार निभाने का रिकॉर्ड है.

बता दें कि एनटी रामा राव ने पहली बार 1963 की फिल्म लव कुसा में भगवान राम की भूमिका निभाई थी और उसके बाद कई फिल्मों में इस भूमिका को दोहराया. लेकिन इससे पहले वह 1958 में रिलीज हुई फिल्म ‘भूकैलास’ में रावण का किरदार निभा चुके थे. हालाँकि, वह फिल्म सफल नहीं रही और एनटी रामा राव  का राक्षस राजा का किरदार क्लट क्लासिक सीताराम कल्याणम (1961) में नजर आया.

तेलुगु दर्शकों के लिए मसीहा की तरह बन गए थे एनटी रामा राव
एनटीआर पौराणिक नाटक शैली पर अपनी महारत के चलते तेलुगु दर्शकों के लिए मसीहा की तरह बन गए थे.  1960 और 70 के दशक में इन किरदारों पर वे हावी रहे. हालांकि  बाद में उन्होंने रॉबिन हुड जैसे किरदार निभाना शुरू कर दिया, जिससे उनका व्यापक नायक कद मजबूत हो गया. बाद में उन्होंने राजनीति में एंट्री कर ली.

एनटीआर रामा राव को भगवान मानकर पूजने लगे थे लोग
1960 के दशक के मिड तक एनटीआर ने तेलुगु सिनेमा में स्टारडम हासिल कर लिया था. यहां तक ​​कि भगवान राम, भगवान शिव, भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु के रूप में उनकी भूमिकाओं के कारण उन्हें ‘दिव्य’ दर्जा भी मिल गया था.  हैदराबाद में उनके घर को एक तीर्थ स्थल माना जाता था और कई फैंस/भक्त असली मंदिरों में जाने से पहले वहां मत्था टेकते थे.

 1970 के दशक में, आंध्र प्रदेश के कई हिस्सों में उनके नाम पर आधा दर्जन मंदिर बने, जिनमें उन्हें राम और कृष्ण अवतार में दर्शाया गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, एनटीआर हालांकि इस प्रैक्टिस से ज्यादा खुश नहीं थे.

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