Earth hottest year was 2024 know the reason behind the research


इस साल दुनियाभर में गर्मी ने लोगों को परेशान किया है. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले कुछ सालों की तुलना में एशिया समेत बाकी देशों में इस साल सबसे अधिक गर्मी पड़ी है. यूरोप की जलवायु एजेंसी कॉपरनिकस ने दावा किया है कि इस साल की गर्मियों के दौरान धरती का तापमान सबसे ज्यादा रहा है. आज हम आपको बताएंगे कि रिसर्च में क्या सामने आया है. 

सबसे गर्म साल

बता दें कि एजेंसी के मुताबिक ये साल मानवता के इतिहास में सबसे गर्म साल रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि रिकॉर्ड तोड़ गर्मी की वजह मानव जनित कारणों के अलावा, जलवायु परिवर्तन, अल नीनो प्रभाव और मौसम संबंधी बदलाव हैं. दुनियाभर में अत्यधिक गर्मी पड़ने के कारण लोग काफी परेशान हुए हैं और इसकी मुख्य वजह ग्लोबल वार्मिंग है.  

पिछले साल से ज्यादा तापमान

कॉपरनिकस के मुताबिक जून, जुलाई और अगस्त में औसत तापमान 16.8 डिग्री सेल्सियस (62.24 डिग्री फ़ारेनहाइट) था. यह 2023 के पुराने रिकॉर्ड से 0.03 डिग्री सेल्सियस (0.05 डिग्री फ़ारेनहाइट) ज्यादा गर्म है. कोपरनिकस के रिकॉर्ड 1940 से ही मौजूद हैं, लेकिन अमेरिकी, ब्रिटिश और जापानी रिकॉर्ड, जो 19वीं सदी के मध्य से शुरू होते हैं, बताते हैं कि पिछले दशक में औसत तापमान सबसे ज्यादा गर्म रहा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि बीते 1,20,000 वर्षों में यह सबसे ज्यादा तापमान है. 

तापमान में बदलाव

कॉपरनिकस के निदेशक कार्लो बुओंटेम्पो ने बताया कि साल 2024 और 2023 में अगस्त महीने के दौरान औसत तापमान 16.82 डिग्री सेल्सियस रहा है, जो वैश्विक तापमान के बराबर है. वैज्ञानिकों का कहना है कि आंकड़ों के मुताबिक इससे पहले पिछला साल यानी कि 2023 भी औसत तौर पर काफी गर्म रहा था और ऐसी चर्चा थी कि क्या 2023 धरती का सबसे गर्म साल रहा है. लेकिन अब 2024 के आंकड़े सामने आने के बाद साफ हो गया है कि ये साल धरती का सबसे गर्म साल रहा है. कुछ एक्सपर्ट के मुताबिक आने वाले सालों में गर्मी और बढ़ेगी और इसका सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वार्मिंग है. जिसके कारण तापमान में भारी बदलाव देखने को मिल रहा है.   

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक जलवायु विज्ञानी जोनाथन ओवरपैक का कहना है कि अमेरिका के एरिजोना में इस साल 100 से भी ज्यादा दिनों तक तापमान 37.8 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहा है. वहीं साथ ही हीट वेव, भारी बारिश, बाढ़ जैसी घटनाएं भी ज्यादा हुई है. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है.

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