Economic-foreign Policy Of Modi Government Is Highly Praised In Article Of Chinese Newspaper Global Times – भारत ने हमेशा ही खुद को एक विश्व शक्ति… : चीन ने भी मोदी सरकार की नीतियों का माना लोहा
दुनिया में भारत का रूतबा काफी बढ़ गया है. इस बात को चीन सरकार के सबसे चर्चित अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने भी मान लिया है. ग्लोबल टाइम्स में छपी खबरें और लेख चीन की सरकार की सोच के तौर पर जाना जाता हैं. बीते कुछ साल में ग्लोबल टाइम्स आम तौर पर भारत विरोधी लेखों और संपादकीय के लिए चर्चा में रहा है. लेकिन इसी अखबार में 2 जनवरी को छपे एक लेख ने इस बार तमाम मोर्चों पर भारत की तरक्की की बात पर मुहर लगा दी है.
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“भारत ने बड़ी कामयाबियां हासिल की”
चीन के फुडन विश्वविद्यालय के दक्षिण एशियाई अध्ययन केंद्र के डायरेक्टर झांग जियाडोंग के इस लेख में कहा गया है कि भारत ने आर्थिक विकास की दिशा में बड़ी कामयाबियां हासिल की हैं और उसकी अर्थव्यवस्था अब उस राह पर है, जहां वो दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है. ‘What I feel about the Bharat narrative in India’, नाम से अपने इस लेख में जियाडोंग ने कहा कि हाल में उन्होंने दो बार भारत की यात्रा की. इस दौरान भारत के प्रतिनिधियों से बातचीत में उन्हें महसूस हुआ कि चीन के विद्वानों के प्रति उनका रुख अब काफी उदार हो गया है.
“बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर…”
जियाडोंग लिखते हैं कि अपने दौरे में मैंने पाया कि भारत की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्थितियां चार साल पहले की तुलना में काफ़ी बदल गई हैं. भारत ने आर्थिक विकास और सामाजिक शासन यानी सामाजिक शासन के क्षेत्र में कामयाबी हासिल की है. भारत की अर्थव्यवस्था ने रफ्तार हासिल कर ली है और वो सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है. तेज आर्थिक और सामाजिक विकास के साथ भारत सामरिक तौर पर ज्यादा आत्मविश्वास से भरा है और एक भारत नैरेटिव तैयार करने यानी भारत की कहानी तैयार करने की ओर सक्रिय है.
“भारत की रणनीतिक सोच में काफी बदलाव…”
ग्लोबल टाइम्स के इस लेख में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में भारत के बड़ी होती हैसियत का जिक्र किया गया है. लेख में कहा गया है कि कूटनीति के क्षेत्र में भारत एक बड़ी शक्ति बनने की रणनीति पर तेजी से बढ़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से सत्ता हासिल की है उन्होंने एक साथ कई देशों के साथ गठबंधन की रणनीति की वकालत की है. उन्होंने अमेरिका, जापान, रूस और अन्य देशों और क्षेत्रीय संगठनों के साथ भारत के रिश्ते बेहतर किए हैं. विदेश नीति के क्षेत्र में भारत की रणनीतिक सोच में काफी बदलाव आया है और भारत एक बड़ी शक्ति बनने की रणनीति की ओर बढ़ गया है. रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत ने ख़ुद को पश्चिम से दूर रखा और विकासशील देशों के साथ ख़ुद को ज़्यादा क़रीबी से जोड़ा है.
ग्लोबल टाइम्स के लेख के अनुसार राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में भारत अब पश्चिम के सामने लोकतांत्रिक राजनीति की भारतीय विशिष्टता पर जोर देने से आगे बढ़ गया है. अपने इतिहास में एक उपनिवेश के तौर पर उपजी छवि से बाहर निकल कर भारत अब राजनीतिक और सांस्कृतिक तौर पर विश्व गुरू बनना चाहता है. भारत अब अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को, अपने हितों को हासिल करने या विदेशी सैलानियों को आकर्षित करने तक ही सीमित नहीं करना चाहता, बल्कि इसे एक बड़ी शक्ति के तौर पर भारत के नए कद का स्तंभ मानता है.
“अंतरराष्ट्रीय संबंधों के इतिहास में इतने तेज़ बदलाव कम ही देखे…”
ग्लोबल टाइम्स में छपी लेख के अनुसार आंतरिक और विदेश नीति के मामले में ऐसे बदलाव भारत की लंबे समय से रही नीति से मेल खाते हैं. भारत ने हमेशा से ही खुद को एक विश्व शक्ति माना है. लेकिन अभी दस साल से कम ही हुए हैं, जब भारत अलग अलग देशों के साथ संतुलन बनाने की रणनीति से हटकर अलग अलग देशों के साथ गठबंधन की रणनीति पर आगे बढ़ गया है. ये रणनीति अब एक बहुध्रुवीय दुनिया में ख़ुद एक ध्रुव बनने की रणनीति के तौर पर बदल रही है. अंतरराष्ट्रीय संबंधों के इतिहास में इतने तेज़ बदलाव कम ही देखे गए हैं. भारत वास्तव में एक बड़ी शक्ति है. आंतरिक और विदेश नीति के मोर्चे पर रणनीति में बदलाव ख़ुद भारत के लिए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए बड़ी चुनौती हैं. ऐसा लगता है कि एक नया, ताक़तवर और ज़्यादा दृढ़ भारत एक नया भूराजनीतिक तथ्य है, जिस पर कई देशों को विचार करना होगा.
भारत की बढ़ती हैसियत के बारे में ये विचार चीन के उस अख़बार में छपे हैं, जो चीन सरकार का मुखपत्र भी माना जाता है. इस अख़बार का स्वामित्व पीपुल्स डेली के पास है, जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सेंट्रल कमेटी का आधिकारिक अख़बार है. ग्लोबल टाइम्स में छपी ख़बरें और लेखों को चीन सरकार के विचार के तौर पर माना जाता है. चीन के साथ बीते कुछ सालों में भारत के संबंध लगातार तनाव भरे रहे हैं. ग्लोबल टाइम्स अख़बार ने अक्सर भारत विरोधी ख़बरें छापी हैं. इस सबके बीच ऐसे एक लेख का ग्लोबल टाइम्स में छपने की खूब चर्चा हो रही है.
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