ED Opposed Hemant Sorens Bail By Giving An Affidavit In SC For Lok Sabha Election Campaign – चुनाव प्रचार करना मौलिक अधिकार नहीं…, ED ने SC में हेमंत सोरेन की जमानत का किया विरोध


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नई दिल्ली:

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की जमानत याचिका पर मंगलवार को सुनावाई होगी.  ईडी ने हलफनामा देकर हेमन्त सोरेन के अंतरिम जमानत याचिका का विरोध किया है. ईडी ने कहा है कि चुनाव के लिए प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है, न ही संवैधानिक अधिकार और न ही कानूनी अधिकार. न्यायिक हिरासत में रहते हुए वोट देने का अधिकार जिसे इस न्यायालय ने वैधानिक/संवैधानिक अधिकार माना है, वह भी जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 62(5) के तहत कानून द्वारा सीमित है. 

ED ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में लगभग 123 चुनाव हुए हैं और यदि चुनाव में प्रचार करने के उद्देश्य से अंतरिम जमानत दी जाती है तो किसी भी राजनेता को गिरफ्तार करके न्यायिक हिरासत में नहीं रखा जा सकता है क्योंकि चुनाव पूरे साल होते हैं.  केवल पीएमएलए के तहत ही वर्तमान में कई राजनेता न्यायिक हिरासत में हैं. कोई कारण नहीं है कि याचिकाकर्ता द्वारा विशेष उपचार के लिए विशेष प्रार्थना स्वीकार की जाए. 

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गौरतलब है कि हेमंत सोरेन ने चुनाव प्रचार के लिए सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मांगी है. हलफनामें में आगे कहा गया है कि सोरेन मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के दोषी हैं जिसके लिए उनको गिरफ्तार किया गया था.  उनके खिलाफ 30.03.2024 को आरोप पत्र दायर किया गया है, जहां उनके और उनके सहयोगियों के खिलाफ ठोस सबूतों पर भरोसा किया गया है.

जांच को प्रभावित कर सकते हैं: हेमंत सोरेन

जांच एजेंसी की तरफ से कहा गया है कि सोरेन ने जांच को विफल करने के लिए एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत अधिकारियों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने का भी सहारा लिया है. सोरेन ने राज्य मशीनरी का दुरुपयोग किया है और इस मामले में समानांतर झूठे सबूत बनाने के लिए उनका गलत इस्तेमाल किया है. उनको दी गई किसी भी राहत का परिणाम गवाहों को प्रभावित करना और उनके खिलाफ सबूतों को विफल करना होगा. सोरेन अगर जेल से बाहर आएंगे तो गवाहों के साथ छेड़छाड़ करेंगे.

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