Exclusive : बलूच विद्रोहियों को मिले अचूक हथियार, कहां टिकेगी पाकिस्तान की आर्मी? टेंशन में आईएसआई
बलूच विद्रोहियों के पास पहुंच गए वो हथियार जो अमेरिका रूस करते हैं इस्तेमाल.एक हथियार ऐसा जिससे दो किलोमीटर दूर से उतारा जा सकता है मौत के घाट.इन्हीं हथियारों से बलूच विद्रोही रोजाना पाकिस्तान की सेना का कर रहे कत्लेआम.
पाकिस्तान इन दिनों आफत में है. आईएसआई को समझ नहीं आ रहा कि इस मुसीबत से कैसे निपटे? तालिबान पहले ही जंग का बिगुल फूंक चुका है. रोजाना पाकिस्तानी सेना के जवानों पर हमले हो रहे हैं. अब बलूच विद्रोहियों के पास ऐसे अचूक हथियार आ गए हैं कि पाकिस्तान की सेना के पास भी उनका जवाब नहीं. हथियारों के बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे.
बलूच लिबरेशन फ्रंट ने हाल ही में एक पोस्टर जारी किया है, जिसे देखकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, आईएसआई और पाकिस्तानी आर्मी की सांसें अटक गई है. क्योंकि इस पोस्टर में बलूच विंद्रोहियों के हाथ में जो हथियार दिख रहे हैं वे काफी हाईटेक हैं. कई तो ऐसे हथियार हैं कि पाकिस्तानी सुरक्षाबलों के पास भी ऐसे हथियार नहीं. बलूच विंद्रोहियों के हाथ में M16A4 राइफल, M240B मशीन गन, आरपीजी-7 लॉन्चर, बल्गे रियाई OGi-7MA प्रोजेक्टाइल और PKM मशीन नजर आईं. बलूच लिबरेशन फ्रंट की ओर से जारी इस पोस्टर में साफ लिखा है कि जीत तक लड़ाई जारी रहेगी.
आइए जानते हैं इन हथियारों के बारे में
M16A4 राइफल : अमेरिका में बना यह राइफल इतना खास है कि इसे 2003 से यूएस मरीन कॉर्प्स इस्तेमाल कर रही है. 3.3 किलोग्राम वजनी यह राइफल 100 सेंटीमीटर लंबा है. इसमें 20 से 30 राउंड मैगजीन आती है. यह 700-950 राउंड एक बार में फायर कर सकती है. इसमें .223-कैलिबर की गोली लगती है, जो काफी घातक होती है.
M240B मशीन गन: यह भी काफी घातक मशीनगन है, इसका भी इस्तेमाल अमेरिकी मरीन कॉर्प्स करती है. इसे ‘M240 ब्रावो’ या ‘240’ के नाम से भी जाना जाता है. यह गैस से चलने वाली मशीनगन है, जिसमें 7.62 मिमी नाटो कारतूस लगता है. इसका वजन 12.5 किलोग्राम है. यह एक मिनट में 500 से 950 राउंड फायर करती है. इसकी रेंज 2 किलोमीटर है. यानी दो किलोमीर दूर से भी इससे किसी को भी मौत की नींद सुलाया जा सकता है. सबसे खास बात, इसे ट्राइपॉड, वाहनों, विमानों, जहाजों और छोटी नावों पर भी लगाया जा सकता है.
आरपीजी-7 लांचर: इसे रूस ने तैयार किया है. इसका अर्थ है हैंड-हेल्ड एंटी-टैंक-ग्रेनेड-लॉन्चर. इसे कंधे पर रखकर भी लॉन्च किया जा सकता है. इसे पहली बार 1961 में सोवियत संघ ने इस्तेमाल किया था. आज भी कई सेनाएं इसका प्रयोग करती हैं. सबसे खास बात, इसका पेलोड है, जो पलभर में भारी तबाही मचा सकता है.
Tags: Pakistan army, Pakistan Army General, Pakistan news
FIRST PUBLISHED : January 2, 2025, 05:01 IST