Exclusive: हाथरस कांड में क्या पुलिस ने लगाई हल्की धारा? बस 6 महीने की सजा; बाबा का नाम तक नहीं


Hathras Accident: उत्तर प्रदेश के हाथरस में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ से मरने वालों का आंकड़ा 121 तक पहुंच गया है. 28 लोग घायल बताए जा रहे हैं. घटना के बाद से सत्संग का आयोजक बाबा फरार है. दिलचस्प बात यह है कि इस मामले में पुलिस ने जो FIR दर्ज की है, उसमें बाबा का नाम तक नहीं है.

FIR में क्या-क्या है?
हाथरस पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है, उसमें मुख्य सेवादार देव प्रकाश मधुकर, अन्य आयोजक और अन्य अज्ञात सेवादारों को आरोपी बनाया है. नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का नाम आरोपियों में नहीं है. जो आरोपी बनाए गए हैं, उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या) 110 126 (2) (जबरन बंधक बनाना) दो 223 और 238 (अपराध के सबूतों को मिटाना और गलत जानकारी देना) लगाई गई है.

FIR में कहा गया है कि आयोजकों ने 80000 श्रद्धालुओं की परमिशन मांगी थी. उन्होंने इस तथ्य को छुपाया कि वास्तविक श्रद्धालुओं की संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है. कार्यक्रम में करीब 2.5 लाख लोगों की भीड़ जुट गई. जीटी रोड पर ट्रैफिक ब्लॉक हो गया. सत्संग के बाद करीब 2 बजे जब भोले बाबा जाने लगे तो भीड़ उनकी कार के पीछे धूल लेने के लिए भागी और इसके बाद भगदड़ मच गई.

FIR की धारा पर क्यों सवाल?
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट आदर्श तिवारी https://hindi.news18.com/ से बातचीत में कहते हैं कि पुलिस की FIR में धारा 105 और 110 लगाई गई है. पहले आईपीसी में 105 की जगह 304 (गैर इरादतन हत्या) की धारा थी. धारा 105 में कहा गया है कि ‘हत्या का इरादा यानी इंटेंशन’ होना चाहिए, पर हाथरस के मामले में हत्या का इरादा नजर नहीं आता. इसलिये यह धारा लागू नही हीं होगी. पहली नजर में किसी को न तो मारने का न इंटेशन नजर आता है और न ही नॉलेज है.

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आरोपियों को कितनी सजा हो सकती है?
इसी तरह, 126 (2) जबरन बंधक बनाने से जुड़ी धारा लगाई गई है. आईपीसी में यह धारा 339 हुआ करती थी. 126 (2) में सिर्फ एक महीने की सजा का प्रावधान है. इसी तरह, 223 सरकारी कर्मचारी द्वारा दिये गए आदेश की अवहेलना करने से जुड़ा है. इसमें 6 महीने या एक साल तक की सजा हो सकती है. धारा 238 साक्ष्य को मिटाने से संबंधित है. इस धारा में 238 (बी) या (सी) के तहत अधिकतम 3 साल तक की सजा हो सकती है.

तो बाबा के खिलाफ क्या कार्रवाई?
एडवोकेट आदर्श तिवारी कहते हैं कि BNS में धारा 106 है, जिसमें लापरवाही के चलते मृत्यु से जुड़े प्रावधान हैं. इस धारा में कहा गया है कि अगर आरोपी की लापरवाही के चलते किसी की जान जाती है तो उसे 5 साल तक की सजा हो सकती है. चूंकि पुलिस खुद अपनी एफआईआर में लापरवाही की बात कह रही है तो संभव है कि आगे यह धारा ऐड हो जाए. अगर मामला कोर्ट में जाता है तो धारा 105, 106 में परिवर्तित हो सकता है. कोर्ट इस धारा में बाबा को आरोपी बना सकती है. क्योंकि एफआईआर के मुताबिक जब भीड़ उनकी कार के पीछे धूल उठाने भागी और भगदड़ मची तब उन्हें इसका संज्ञान था. उन्हें तुरंत रुककर अपने भक्तों को रोकना चाहिए था. यह लापरवाही के दायरे में आता है.

बाबा को कितनी सजा मिल सकती है?
पुराने IPC में 106 की जगह 304 (A) हुआ करती थी, जिसमें सिर्फ 2 साल की सजा थी. अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 में 5 साल की सजा का प्रावधान कर दिया गया है. अगर बाबा के खिलाफ 106 के तहत आरोप साबित होता है तो 5 साल की सजा मिल सकती है.

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