Exclusive: 2 साल, 5 घोटाले और 47 FIR; झारखंड में कैसे भ्रष्टाचार की इमारत पर ED चला रही हथौड़े?
रिपोर्ट- मधुपर्णा दास
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पिछले दो सालों में झारखंड सरकार के शीर्ष अधिकारियों को भूमि, खनन, रेत और कोयला आवंटन और मनरेगा क्षेत्रों में कथित घोटालों के संबंध में कम से कम 47 FIR, 24 सूचना पत्र और 11 अनुस्मारक भेजे हैं. हालांकि, राज्य के शीर्ष अधिकारियों ने अपने शीर्ष पदाधिकारियों, जिनमें कम से कम तीन मंत्री, चार वरिष्ठ IAS अधिकारी और कई जिला खनन अधिकारी (DMO) शामिल हैं, के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. जिन अधिकारियों को याद दिलाया गया उनमें मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (DGP), भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के महानिदेशक (DG) और प्रमुख प्रधान सचिव शामिल थे.
ED ने इस हफ्ते की शुरुआत में झारखंड हाई कोर्ट में 140 पन्नों की याचिका दाखिल की है, जिसमें 10 एटैचमेंट भी शामिल हैं. सितंबर 2022 से सितंबर 2024 के बीच, ED ने राज्य को विस्तृत दस्तावेज सौंपे, जिसमें कम से कम पांच बड़े घोटालों में “आपराधिक” कुप्रबंधन और गलत कामों के सबूत दिए गए हैं. इन घोटालों में सरकारी स्टांप की नकली बनाना, कोयला और एमएसएमई के आवंटन में भ्रष्टाचार, अवैध रेत खनन और बिक्री, मनरेगा में भ्रष्टाचार, ग्रामीण विकास घोटाले, जमीन के दस्तावेज़ों में हेराफेरी और अन्य जमीन से जुड़े घोटाले शामिल हैं.
राज्य के विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज की गई FIR को बाद में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत ED ने अपने नियंत्रण में ले लिया और कई ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) शुरू की गईं, इसमें समान मामलों को एक साथ जोड़ दिया गया. न्यूज18 ने इन दस्तावेजों के सैकड़ों पन्नों को देखा और उनकी समीक्षा की, जिससे राज्य स्तर पर भ्रष्टाचार और लीपापोती की चौंकाने वाली कहानी सामने आई.
रिट याचिका दायर
News18 द्वारा प्राप्त याचिका के अनुसार, जब्त की गई सूचियां, गवाहों के बयान और अन्य विस्तृत रिकॉर्ड, जिनमें आपत्तिजनक दस्तावेज और सरकारी टेंडरों में अधिक बिलिंग के सबूत शामिल हैं, यह दिखाते हैं कि सार्वजनिक धन का कथित दुरुपयोग सरकार के उच्च स्तर पर कैसे हुआ. कुछ दस्तावेज मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर भी इशारा करते हैं. सबूतों के बावजूद, झारखंड सरकार ने जांच को रोकने का प्रयास किया, न तो कोई कार्रवाई की और न ही नई FIR दर्ज की, जिससे भ्रष्टाचार का नेटवर्क बिना किसी रुकावट के चलता रहा, ऐसा ईडी ने याचिका में कहा है.
एक वरिष्ठ ईडी अधिकारी ने न्यूज़ 18 को बताया, “इस सोची-समझी निष्क्रियता ने न केवल राज्य के उच्चतम कार्यालयों की जवाबदेही पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सत्ता में बैठे लोगों द्वारा संरक्षित प्रतीत होने वाले प्रणालीगत भ्रष्टाचार पर भी चिंता बढ़ा दी है.”
याचिका में कहा गया, “हर अनदेखी सूचना और FIR के साथ, झारखंड सरकार ने अपनी मिलीभगत को और मजबूत किया है, जिससे दंडमुक्ति की संस्कृति को बढ़ावा मिला है. राज्य का इस तरह के गंभीर सबूतों को नजरअंदाज करने का निर्णय शासन में जनता के विश्वास को और कमजोर करने की धमकी देता है, और इसके कानून और व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता पर गंभीर सवाल खड़े करता है.”
झामुमो पर बढ़ता राजनीतिक दबाव
विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) पर दबाव बनाती दिख रही है. पार्टी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक, भाजपा के स्टार प्रचारकों ने भ्रष्टाचार और घुसपैठ के मुद्दे पर सरकार पर हमला बोला है.
हालांकि, JMM नेताओं का दावा है कि ये मामले “भाजपा के राजनीतिक प्रतिशोध” का हिस्सा हैं. उन्होंने कहा, “उन्होंने (ईडी) हमारे मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया, लेकिन अदालत के सामने मामला साबित नहीं कर सके. उन्हें जमानत मिल गई और वे राज्य में वापस आ गए हैं. भाजपा हमारे वरिष्ठ नेताओं और सदस्यों को अपने पाले में करके पार्टी को तोड़ने के लिए अपने सभी संसाधनों का इस्तेमाल कर रही है. वे राज्य के नौकरशाहों के खिलाफ अप्रमाणित और अवास्तविक आरोप लगा रहे हैं,” एक वरिष्ठ जेएमएम नेता ने कहा. “हम अदालत में उनसे लड़ेंगे, जबकि हमारी राजनीतिक लड़ाई भी जारी रहेगी. झारखंड के लोग इसे देखेंगे और इस चुनाव में हमें न्याय देंगे.”
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FIRST PUBLISHED : November 9, 2024, 12:57 IST