Explainer: आखिर क्यों दावा कर रहे हैं वैज्ञानिक? गलत अंदाजा लगा रहे थे हम चांद की उम्र का
एक स्टडी में दावा किया गया है कि अब तक हम जो चंद्रमा की उम्र समझते रहे हैं ,वह गलत है. इसके मुताबिक चंद्रमा हमारे आज के अनुमान से कहीं ज्यादा पुराना है. नए अध्ययन में बताया गया है कि जो चंद्रमा की चट्टानें उसकी उम्र का 4.35 अरब की उम्र बता रही हैं. वह गलत हो सकती है क्योंकि पृथ्वी के खिंचाव की वजह से चंद्रमा की सतह पर ऐसा कुछ होगा जिससे वहां की चट्टानों की घड़ी ही बदल गई होगी. अध्ययन के नतीजे ना केवल चंद्रमा का इतिहास बदल देंगे बल्कि खगोलीय पिंडों को हमारे समझने के तरीके को भी बदल देंगे. आइए समझते हैं कि पूरा मामला क्या है?
चंद्रमा की उम्र का अनुमान
अभी तक चंद्रमा से जितने भी चट्टानों के नमूने जमा किए गए हैं वे बताते हैं कि वे 4.35 अरब साल पहले बने थे. यह समय सौरमंडल के आकार लेने के 20 करोड़ साल के बाद का था. कई वैज्ञानिक कहते हैं कि इस समय तक तो चंद्रमा के बनने की प्रक्रिया शुरू होने बहुत मुश्किल है. ऐसे में चंद्रमा की उम्र और उस समय के हालात के बीच का एक विरोधाभास बना.
समस्या का हल?
नेचर में प्रकाशित अध्ययन में सांता क्रूज कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर फ्रांसिस निम्मो और उनके साथियों ने इसी का हल निकालने की कोशिश की है. उनके मुताबिक 4.35 साल पहले चंद्रमा फिर से पिघलने की प्रक्रिया से गुजरा होगा और इसकी वजह पृथ्वी का ज्वारीय या टाइडल खिंचाव रही होगी. इसी खिंचाव की वजह से चंद्रमा पर बहुत ही अधिक भूगर्भीय बदलाव आए होंगे और चंद्रमा बहुत ज्यादा गर्म हो गया होगा.
चंद्रमा की चट्टानों के टुकड़ों का अध्ययन कर ही वैज्ञानिकों ने उनकी उम्र का अनुमान लगाया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
गलत उम्र का अनुमान
उनका कहना है कि इसे रीमेल्टिंग की प्रक्रिया हो गई होगी जिससे चंद्रमा की घड़ी फिर से शुरू हो गई होगी क्योंकि तब सारी चट्टानें पूरी पिघल गई होंगी. यानी हमें जो उम्र पता चल रही है, वह इसी घटना का समय बता रही है, ना कि चंद्रमा की सही उम्र. यहां यह समझना जरूरी है कि आखिर चट्टान से उम्र का पता लगने का उनके पिघलने से क्या संबंध है.
उम्र का अनुमान लगाना
जब भी किसी ग्रह का निर्माण होता है और उसकी उपरी सतह की पिघली चट्टानें धीरे धीरे ठंडी होकर ठोस आकार लेती हैं और इस समय से इसमें ऐसे संकेत जमा हो जाते हैं जिनसे हमें पता चलता है कि यह घटना किसने साल पहले घटी होगी. इसी लिए वैज्ञानिक इसघटना के समय का पता लगाते हैं औरउसी से उस ग्रह की उम्र का पता चलता है.
पृथ्वी के खिंचाव के कारण ही चंद्रमा की चट्टानें फिर से पिघली होंगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
बार बार पूरी चट्टानों का पिघलना?
अब होता ये है कि आमतौर पर यही माना जाता रहा चंद्रमा के बनने के बाद, वहां बड़े पैमाने पर चट्टानें पिघली हो नहीं होगीं. ऐसे में जब चंद्रमा की चट्टानों के अध्ययन से जिस समय का उन्हें पता चला, उन्होंने उसे ही चंद्रमा की सही उम्र मान लिया. लेकिन नए अध्ययन का कहना है पूरे चंद्रमा की चट्टानों के पिघलने की घटना, चंद्रमा के बनने के काफी समय बाद भी हो सकती है, जिससे वह घड़ी फिर से शुरू हो गई होगी यानी रीसेट हो गई होगी.
पृथ्वी कैसे जिम्मेदार?
निम्मो और उनके साथियों का कहना है कि पूरे चंद्रमा में चट्टानों के फिर से पिघलने की घटना यानी रीमेल्टिंग का कारण चंद्रमा का पृथ्वी का चक्कर लगाने और पृथ्वी के ज्वारीय बल का प्रभाव रहा होगा. यह उसी समय हुआ होगा जो चंद्रमा की उम्र बताई जा रही है. और चंद्रमा के मैग्मा महासागर से चट्टानें काफी पहले बनी होंगी. उन्होंने मॉडलिंग के जरिए दिखाया कि चंद्रमा पृथ्वी के ज्वारीय बल से इतना गर्म हुआ होगा की उसकी सारी चट्टानें फिर से पिघल गई होंगी.
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यह ज्वारीय बल पृथ्वी के गुरुत्व का चंद्रमा के आंतरिक हिस्सों पर असर डाल रहा होगा, जिससे आंतरिक घर्षण से बहुत ही ज्यादा गर्मी बनी होगी जिसने चंद्रमा की चट्टानों को पूरी तरह से बदल दिया होगा. शोधकर्ताओं का कहना है इसपर और गहन अध्ययन चंद्रमा की सही उम्र पता लगाने में मददगार होंगे.
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FIRST PUBLISHED : December 23, 2024, 20:07 IST