Explainer: क्या रूस करेगा यूक्रेन के खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल, क्यों कर रहा न्यूक्लियर पॉलिसी में बदलाव


Why Russia Changing Nuclear Doctrine: रूस और यूक्रेन के बीच लगभग ढाई साल से चल रही जंग के थमने का कोई नामोनिशान नहीं है. थमने के बजाय यह जंग और विकराल रूप अख्तियार करती जा रही है. पिछले हफ्ते जब यह लगने लगा था कि जंग में वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की भारी पड़ते नजर आ रहे हैं. तभी रूस ने यूक्रेनी शहर पोलतावा पर ताबड़तोड़ मिसाइल हमले कर ज़ेलेंस्की को बैकफुट पर ला खड़ा किया. इसे यूक्रेन पर अब तक का सबसे बड़ा मिसाइल हमला बताया जा रहा है. रूसी सेना ने मंगलवार को इस्कंदर एम बैलिस्टिक मिसाइलों से पोलतावा शहर में उस जगह को निशाना बनाया जहां यूक्रेनी आर्मी के रंगरूट ट्रेनिंग ले रहे थे. इन हमलों में 51 से ज्‍यादा लोगों की मौत हो गई. अभी भी तमाम लोगों के शव मलबे में दबे हुए हैं.

रूस ने यह कह कर कि वह अपने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की परिस्थितियों को निर्धारित करने वाले सिद्धांत में बदलाव करेगा मामले को गरमा दिया है. इसका मतलब यह है कि रूस परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के लिए निर्णय लेने के समय को कम कर सकता है. अगर रूस को लगता है कि उसके ऊपर खतरा बढ़ रहा है, तो वह जल्द से जल्द परमाणु हमले का आदेश दे सकता है. रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने कहा कि सिद्धांत में संशोधन की वजह यूक्रेन युद्ध में कथित पश्चिमी भागीदारी है. यह बयान ऐसे समय में आया है जब रूस अपने कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेनी सैनिकों की घुसपैठ से जूझ रहा है और कीव ने पश्चिमी देशों से मिले हथियारों का उपयोग करके रूसी क्षेत्र पर हमले बढ़ा दिए हैं. 

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रूस है सबसे बड़ी परमाणु शक्ति
रूस दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु शक्ति है. उसके पास पूरी दुनिया में हमले के लिए तैयार सबसे अधिक परमाणु हथियार हैं. यूक्रेन युद्ध ने 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट के बाद से रूस और पश्चिम के बीच सबसे बड़ा टकराव शुरू कर दिया है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी कहा था कि रूस अपने आधिकारिक परमाणु सिद्धांत को बदल सकता है, जिसमें ऐसी शर्तें निर्धारित की गई हैं जिनके तहत ऐसे हथियारों का इस्तेमाल किया जा सकता है. फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के अनुसार, रूस और अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु शक्तियां हैं. जिनके पास दुनिया के लगभग 88 फीसदी परमाणु हथियार हैं. दोनों अपने परमाणु शस्त्रागार का आधुनिकीकरण कर रहे हैं जबकि चीन अपने परमाणु शस्त्रागार को तेजी से बढ़ा रहा है.

क्या है रूस का परमाणु सिद्धांत
रूस का मौजूदा परमाणु सिद्धांत जून 2020 में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश के जरिये स्थापित किया गया था. छह पन्नों के इस आदेश में कहा गया था, “अगर रूस पर या उसके सहयोगियों पर परमाणु हथियारों या अन्य प्रकार के विनाशकारी हथियारों का प्रयोग होता है, या फिर पारंपरिक हथियारों के साथ आक्रमण की स्थिति में उसके अस्तित्व को खतरा होता है, तो रूसी संघ परमाणु हथियारों का उपयोग करने का अधिकार सुरक्षित रखता है.” क्योंकि इसमें खतरे की परिभाषा स्पष्ट नहीं है. पुतिन ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दी थी. उनके धमकी देने का मकसद यह था कि रूस-यूक्रेन जंग में पश्चिमी देश कोई हस्तक्षेप न करें.

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यूक्रेन युद्ध पर क्या प्रभाव पड़ेगा
फरवरी 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू किया तब से, क्रेमलिन ने बार-बार धमकियों का इस्तेमाल किया है. विशेषज्ञों का कहना है कि इसका उद्देश्य युद्ध में पश्चिमी हस्तक्षेप को रोकना है. मार्च 2023 में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने चेतावनी दी कि परमाणु हथियारों के उपयोग का जोखिम शीत युद्ध के बाद किसी भी समय की तुलना में अधिक है. रूस की परमाणु हमले की धमकी अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों को यूक्रेन के साथ लड़ने के लिए अपनी सेनाएं भेजने से रोकना है. हालांकि उन्होंने इसका दूसरा रास्ता निकाल लिया है. अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों ने यूक्रेन को सैन्य सहायता बढ़ा दी है. वे कीव को लंबी दूरी की मिसाइल, एफ-16 फाइटर प्लेन और टैंक सहित तमाम हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं. अपने सहयोगियों से मिल रही सैन्य सहायता के दम पर ही यूक्रेन ने रूस पर अपने हमले बढ़ा दिए और उसके एक हिस्से पर कब्जा भी कर लिया. 

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